आत्मनिर्भर भारत: सेवा भारती में प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार से जुड़ रहे युवा

आत्मनिर्भर भारत: सेवा भारती में प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार से जुड़ रहे युवा

आत्मनिर्भर भारत: सेवा भारती में प्रशिक्षण लेकर स्वरोजगार से जुड़ रहे युवा

जयपुर, 11 अगस्त। भारत और चीन के बीच चल रहे तनाव के दौर में सरकार द्वारा देश को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने के निर्णय से लोगों में उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। इस निर्णय का सभी लोगों ने स्वागत किया है। यहां तक कि लोगों ने चीन से आयात होने वाली वस्तुओं का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है।

‘स्वरोजगार’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के इस अभियान के अंतर्गत सेवा भारती ने एक नई पहल आरम्भ की है। इसके अंतर्गत अब तक लगभग 50 परिवारों को दीपावली पर उपयोग होने वाली रंग-बिरंगी लाइटों/झालरों की लड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ये सभी परिवार सेवा बस्तियों में रहने वाले वंचित व अभावग्रस्त श्रेणी से सम्बन्ध रखते हैं।

सेवा भारती के क्षेत्रीय कार्यालय सेवा सदन के सचिव धरमचंद जैन बताते हैं कि, “प्रशिक्षण से पहले 10 दिन तक यहां सभी को काम दिखाया जाता है। उसके बाद उन लोगों को झालर बनाने का कच्चा सामान दिया जाता है। वे सामान से बनी झालर लाकर जब वापस देते हैं, तो उन्हें उनकी मजदूरी दे दी जाती है। इस प्रकार से सभी को रोजगार मिलता है।” उन्होंने यह भी बताया कि दीपावली तक लगभग 10 हजार एलईडी लड़ियों का निर्माण करके उन्हें बाज़ार में उतारा जाएगा।

दीपावली पर प्रयोग के लिए तैयार झालर

सेवा भारती में एलईडी विभाग के प्रभारी, ओमकार सिंह राठौर बताते हैं कि, “चीन से आयात की जाने वाली झालरों में अलॉय का प्रयोग किया जाता है। उन झालरों पर कॉपर की पॉलिश की जाती है। यहां बनने वाली झालरों में पूर्ण रूप से कॉपर ही प्रयोग में लाया जाता है। इसी कारण हमारे उत्पादों की लागत चीन के उत्पादों से थोड़ी अधिक है।” उन्होंने बताया कि सभी परिवार जिनको यह कार्य सिखाया जा रहा है, वे झालर बना कर सीधे बाज़ार में भी बेच सकते हैं। स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने वाली इन पहलों के कारण ना केवल गरीब युवा स्वावलंबी बनेंगे, बल्कि उन्हें रोजगार भी मिलेगा।

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