नए कृषि कानून किसान हित में, आंदोलन वामपंथियों व विपक्ष की साजिश – चौधरी

नए कृषि अधिनियम किसान हित में, आंदोलन वामपंथियों व विपक्ष की साजिश - चौधरी

नए कृषि अधिनियम किसान हित में, आंदोलन वामपंथियों व विपक्ष की साजिश - चौधरी

  • विश्व संवाद केंद्र चित्तौड़ की ई-विचार गोष्ठी में  किसान बिलों पर हुई विस्तृत चर्चा

उदयपुर, 30 जनवरी। केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार अधिनियम 2020 में किसान हितों के विपरीत कोई प्रावधान नहीं है, बल्कि नये प्रावधान किसानों को समृद्ध व सशक्त बनाने की दिशा में कारगर साबित होंगे। इन कानूनों के विरोध में चलाया जा रहा आंदोलन वास्तव में किसानों का आंदोलन न होकर विपक्षी पार्टियों का राजनीतिक एजेंडा और खासकर वामपंथियों की पूर्व नियोजित साजिश का परिणाम है। यह बात भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने विश्व संवाद केंद्र चित्तौड़ की ओर से आयोजित ई-विचार गोष्ठी में कही। ‘कृषि सुधार अधिनियम 2020 – समृद्ध कृषक व सशक्त भारत की आधारशिला’ विषयक इस ई-विचार गोष्ठी में चौधरी ने कहा कि आंदोलनकारी संगठनों ने पहले एमएसपी की गारंटी की मांग की थी, जब सरकार ने बातचीत शुरू की तो सरकार का नरम रुख देखते हुए अपनी मूल मांगों से पीछे हट कर तीनों कानूनों को ही वापस लेने की मांग कर दी, जो संभव नहीं थी।

चौधरी ने बताया कि पंजाब, हरियाणा में किसानों को धान व गेहूं पर पहले से ही एमएसपी की व्यवस्था है जबकि सभी राज्यों में ऐसा नहीं है। ऐसी स्थिति में विपक्ष द्वारा भ्रांतियां फैलाकर किसानों को डराया गया कि जिन राज्यों में एमएसपी है वहां भी नए कानूनों से यह समाप्त हो जाएगी। जबकि वास्तव में एमएसपी समाप्त करने के कोई प्रावधान नहीं हैं। इसी प्रकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ‘उत्पाद के अनुबंध’ का प्रावधान है, जमीन के अनुबंध का कोई प्रावधान नहीं है, बल्कि प्राकृतिक आपदा से फसल को होने वाली हानि भी किसान को नहीं उठानी होगी। यह हानि व्यापारी कंपनी को ही उठानी होगी, ऐसा प्रावधान है। पंजाब में तो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग गत 15-18 वर्षों से हो रही है जिसका किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है, कृषि के लिये ऋण का प्रावधान भी है। सभी अनुकूल प्रावधान होने के बावजूद किसानों को भ्रमित किया जा रहा है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से उनकी जमीनें चली जाएंगी। उन्होंने कहा कि तीनों ही कानूनों में कोई जटिलता नहीं है और न ही इनके कोई दूरगामी परिणाम किसान विरोधी दिखाई देते हैं।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारतीय किसान संघ के जोधपुर प्रान्त के प्रांत प्रचार प्रमुख तुलछाराम सिंवर ने कहा कि एपीएमसी यानी मंडी की व्यवस्था विभिन्न राज्यों में अलग अलग है। किसान की पैदावार को मंडी में बेचने की अनिवार्यता को नए कानूनों में समाप्त किया गया है और मंडी से बाहर भी बेचने का प्रावधान किया गया है जिस पर कोई टैक्स नहीं है। इससे व्यापारी का कमीशन समाप्त होगा और किसान को लाभ होगा। इसी प्रकार कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में भी पूर्व के कानूनों से बेहतर विकल्प किसानों को नए कानून में उपलब्ध कराए गए हैं।

ई-विचार गोष्ठी में जिज्ञासा समाधान सत्र भी हुआ जिसमें वक्ताओं ने विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए। गोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ चित्तौड़ प्रान्त के प्रांत प्रचार प्रमुख राजेन्द्र लालवानी एवं सह प्रान्त प्रचारक मुरलीधर भी उपस्थित थे। विश्व संवाद केंद्र चित्तौड़ के प्रभारी कमल प्रकाश रोहिला ने    गोष्ठी में सभी का स्वागत करते हुए अतिथि परिचय कराया। कार्यक्रम का संचालन संवाद केंद्र के सरोज कुमार ने किया। गोष्ठी का फेसबुक पर लाइव प्रसारण किया गया।

 

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