दुश्मन की मिसाइलों को गच्चा देने के लिए विकसित किया चैफ, नौसेना के जहाजों की हो सकेगी रक्षा
जोधपुर स्थित रक्षा प्रयोगशाला ने नौसेना के जहाजों को दुश्मन की मिसाइलों के हमले से बचाने के लिए रिकॉर्ड ढाई वर्ष के अल्प समय में विशेष फाइबर विकसित किया है। चैफ नाम के इस फाइबर के माध्यम से दुश्मन की मिसाइल को गच्चा दिया जा सकेगा। अब इसका व्यापक स्तर पर उत्पादन करने के लिए पांच कंपनियों के साथ करार किया जा रहा है। आयातित फाइबर से बेहतरीन नतीजे देने वाले इस उत्पाद के निर्यात की भी असीम संभावना है।
जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला के निदेशक रवीन्द्र कुमार ने बताया कि रक्षा प्रयोगशाला ने नौसेना के जहाजों को दुश्मन की मिसाइलों के हमले से बचाने के लिए रिकॉर्ड ढाई वर्ष के अल्पसमय में विशेष फाइबर विकसित किया है। चैफ नाम के इस फाइबर के माध्यम से दुश्मन की मिसाइल को गच्चा दिया जा सकेगा। सही मायने में यह फाइबर है। बाल से भी पतले इस फाइबर की मोटाई महज 25 माइक्रोन होती है। राकेट के माध्यम से इसके छोटे-छोटे टुकड़ों को दागा जाता है। एक राकेट से करोड़ों अरबों टुकड़े आसमान में एक निश्चित ऊंचाई पर जाकर आपस में मिलकर बादलों के समान एक समूह बना लेते है। इस समूह से दुश्मन की मिसाइल को जहाज का आभास होता है। ऐसे में जहाज की तरफ बढ़ रही मिसाइल अपना लक्ष्य भटक कर इस समूह से टकरा जाती है। रवीन्द्र कुमार ने बताया कि हमने इसे विकसित करने के लिए चार वर्ष की समय सीमा तय की थी, लेकिन हमारी टीम ने अथक प्रयास से इसे सिर्फ ढाई वर्ष में ही तैयार कर दिया। इससे न केवल समय पर देश में विकसित चैफ मिल सकेगा बल्कि विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी। इसके निर्यात की भी भरपूर संभावना है, लेकिन इस बारे में फैसला सरकार करेगी।