समाज जागरण का वाहक – पाथेय कण
राष्ट्रीय विचारों का सजग प्रहरी – इस ध्येय वाक्य का अनुकरण करते हुए समाज में सकारात्मक विचारों को सतत प्रवाहित करने के उद्देश्य के साथ पाथेय कण जागरण पत्र आज चैत्र शुक्ल एकम् पर अपनी यात्रा के 37 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है।
स्थापना:
वर्ष प्रतिपदा 1985 को राजस्थान के तत्कालीन प्रांत प्रचारक सोहन सिंह की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ यह जागरण पत्र विगत 36 वर्षों से लगातार अपने नाम को सार्थक करते हुए निहित उद्देश्य की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
सदस्यता व प्रसार:
संघ के हजारों स्वयंसेवकों के निष्ठापूर्ण श्रम के कारण यह पत्र अपने स्थापना के 12वें वर्ष में ही एक लाख प्रसार संख्या की उपलब्धि प्राप्त कर चुका था। पाथेय कण जागरण पत्र की सदस्यता ‘वार्षिक’ और ‘15 वर्षीय’ दो प्रकार की होती है। दोनों ही प्रकार की सदस्यता का योग मिलाकर 1997 से लेकर इस लेख के लिखे जाने तक सदैव एक लाख से ऊपर रहा है।
राजस्थान में कुल 11,341 ग्राम पंचायतें हैं, आज इन सभी में पाथेय कण के पाठक हैं, जो इस माध्यम से राष्ट्रीयता के समाचारों व हिन्दू वैचारिक दृष्टि से अवगत होते हैं। आज पाथेय कण विश्व के लगभग दस देशों में और भारत के सभी राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। इतनी विशाल प्रसार संख्या के साथ संभवतः यह देश का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला जागरण पत्र है।
सामग्री:
पाथेय कण स्वयं को सीमित दायरे में ना रखकर समाज जीवन के विविध विषयों के प्रति भी एक संवेदनशील भूमिका का सदैव निर्वहन करता रहा है। इसके अंदर बालकों, महिलाओं, वृद्धों, किसानों आदि सभी वर्गों के लिए उपयोगी व प्रेरणादायी विषय समाहित रहते हैं। बाल वर्ग के लिए पाथेय अत्यंत रोचक सामग्री हम सब के सामने प्रस्तुत करता है। पाथेय कण में आने वाली चित्रकथा रोचकता के साथ देशभक्ति के भाव से ओत प्रोत करने वाली होती है ओर विशेष बात यह है कि इस चित्र कथा का निर्माण स्वयं पाथेय कण ही करवाता है। प्रयास है कि पाठकगण पूरे परिवार सहित पाथेय से जुड़ें। इसके लिए सभी सदस्यों से जुड़ी रुचिकर पठन सामग्री दी जाती है। पंचाग, प्रश्नोत्तरी, महापुरुष पहचानो, कविताएं व कहानियां जैसे स्थायी स्तम्भ उसी की एक कड़ी हैं।
विशेषांक:
पाथेय कण विभिन्न विषयों पर वर्ष में दो बार विशेषांक प्रकाशित करता है। प्रत्येक विशेषांक में एक विषय विशेष के संदर्भ में सम्पूर्ण जानकारी प्रकाशित करने का प्रयास किया जाता है। यह जानकारी तथ्य, घटनाओं और प्रमाणिक इतिहास पर आधारित होती है। इसलिए ये विशेषांक संदर्भ सामग्री के रूप में भी पाठकों के काम आते हैं। अब तक कई विषयों यथा- मातृशक्ति, ग्रामीण विकास, ज्योतिष, लोक देवता, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल, प्राचीन भारत का विज्ञान, जम्मू कश्मीर आदि विषयों पर विशेषांक प्रकाशित किये जा चुके हैं। पिछला विशेषांक सेवा विषय पर था, जिसमें कोरोना काल में हुए सेवाकार्यों का वर्णन था।
आगामी विशेषांक राममंदिर निधि समर्पण हेतु किए गए व्यापक जनसम्पर्क अभियान के दौरान हुए स्वयंसेवकों के अनुभवों व संस्मरणों पर प्रकाशित होगा।
पाठक सम्मेलन:
पाथेय कण अपने पाठकों से सीधे संवाद स्थापित करने व उनके सुझाव सुनने के लिए पाठक सम्मेलनों का भी आयोजन करता है। सामान्यतया अब तक प्रत्येक जिले के किसी न किसी खण्ड में पाठक सम्मेलन निश्चित सम्पन्न हुआ है।
अन्य गतिविधियां:
पाथेय कण जागरण पत्र का प्रकाशन पाथेय संस्थान द्वारा किया जाता है। संस्थान अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए पत्रिका प्रकाशन के साथ ही अन्य गतिविधियां भी संचालित करता है, जिनमें जनजाति व पिछड़े क्षेत्रों में सेवा कार्यों जैसे कार्य शामिल हैं जो समाज को सम्बल तो प्रदान करते ही हैं स्वावलम्बी भी बनाते हैं। संस्थान उनकी सहायता अपने सामर्थ्य से करता है। इसी प्रकार विभिन्न विषयों पर वैचारिक प्रबोधन हेतु व्याख्यान का आयोजन भी ‘पाथेय’ की विभिन्न गतिविधियों की माला का एक मोती है।
युगानुकूल:
पाथेय कण न्यूज पोर्टल, संस्थान का एक नया उपक्रम है। आज इंटरनेट का युग है, समाचार तेज गति से प्रसारित होते हैं। ऐसे में समय से कदमताल करते हुए पाथेय संस्थान ने पाथेय कण नाम से ही एक पोर्टल की शुरुआत की है। संस्थान एक ऐसा प्लेटफॉर्म लाना चाहता था, जहां लोगों को अपराध व राजनीति से परे, मुख्य रूप से देश व समाज से सरोकार रखने वाले समाचार, विश्लेषणात्मक व वैचारिक लेख पढ़ने के लिए मिल सकें। साथ ही नकारात्मक व विभाजनकारी समाचारों का वास्तविक पहलू भी पाठकों के सामने उजागर हो सके।
कार्यालय व कार्यकर्ता:
संस्थान का मालवीय नगर, जयपुर में ‘पाथेय भवन’ के नाम से अपना कार्यालय है, जिसमें पत्रकार सभागार व अत्याधुनिक सभागार ‘देवर्षि नारद सभागर’ के नाम से उपलब्ध है। पाथेय कण जागरण पत्र व पोर्टल की प्रबंधकीय टीम एवं सम्पादक स्वयंसेवी भाव से संस्थान के लिए कार्य करते हैं। इस पत्रिका के प्रारंभ होने के 4 वर्ष बाद से ही संघ के प्रचारक माणकचंद इसमें पूर्णकालिक के रूप में नियुक्त हैं। पाथेय कण के आधार स्तम्भों में से एक माणकचंद का जागरण पत्र को यहॉं तक लाने में अविस्मरणीय योगदान है। वे समाचार लाने, पत्रिका छपवाने, पते चिपकाने या पत्रिका के वितरण जैसे सभी छोटे-बड़े कार्य जब जिसकी आवश्यकता लगी, उन सब को पूर्ण मनोयोग से करते आए हैं। ऐसे आधार स्तम्भों की मेहनत, लगन व दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप ही पाथेय कण ने ये ऊंचाइयां प्राप्त की हैं और आज उसका अपना 20 सदस्यों का एक छोटा सा परिवार है, जिसमें ओमप्रकाश, रमाकान्त, डॉ. रामस्वरूप व डॉ. शुचि जैसे सेवाव्रती, अवैतनिक कार्यकर्ता और कुछ मानधन पर अपनी सेवाएं देने वाले कार्यकर्ता शामिल हैं। अपने इस परिवार व सीमित संसाधनों के साथ अपनी पूर्ण क्षमताओं का उपयोग कर मानस परिवर्तन और उससे राष्ट्र निर्माण की दिशा में पाथेय संस्थान पिछले 36 वर्षों से निरंतर गतिमान है। साथ ही पाठकों की सक्रिय सहभागिता से यह स्वावलम्बन और स्वाभिमान के साथ अपने लक्ष्य की ओर द्रुतगति से अग्रसर है। संस्थान पत्रिका व पोर्टल के माध्यम से युवा पीढ़ी को अपनी गौरवशाली परम्परा से परिचित करवाने के साथ ही स्वाभिमान व गर्व की अनुभूति भी कराता है।