आधुनिकता के नाम पर अरबन नक्सली भारत को नीचा दिखाने का काम करते हैं- निम्बाराम

आधुनिकता के नाम पर अरबन नक्सली भारत को नीचा दिखाने का काम करते हैं- निम्बाराम

आधुनिकता के नाम पर अरबन नक्सली भारत को नीचा दिखाने का काम करते हैं- निम्बारामआधुनिकता के नाम पर अरबन नक्सली भारत को नीचा दिखाने का काम करते हैं- निम्बाराम

जयपुर, 11 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि देश में आधुनिकता-प्रगतिशीलता के नाम पर ‘अरबन नक्सली’ के रूप में एक लिबरल फौज खड़ी हो गई है जो, यदाकदा जब भी अवसर मिलता है, भारत को नीचा दिखाते हैं। ये लोग यह सोचते हैं कि भारत का अपना तो कुछ था ही नहीं। अंग्रेज आ गए जो भारत का कायाकल्प करके चले गए। ऐसी सोच रखने वालों को एक बार भारत का इतिहास अवश्य पढ़ लेना चाहिए।

क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम बुधवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित आदर्श विद्या मंदिर के पूर्व छात्रों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई है। उसमें एक अपेक्षा व्यक्त की है कि, प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। यह अभिभावक तय करें। लेकिन भारत में रहने वालों की मातृभाषा अंग्रेजी नहीं हो सकती।

उन्होंने आदर्श विद्या मंदिर के पूर्व छात्रों का उदाहरण देते हुए कहा कि आज चारों और अंग्रेजी माध्यम को लेकर हो हल्ला मच रहा है। आज मंच पर जितने भी छात्र विराजमान हैं, वे सभी हिन्दी माध्यम से पढ़कर गए हैं, जो देश के शीर्ष स्थानों पर बैठकर एक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। यह प्रमाण है कि मातृभाषा में शिक्षा लेने वाला पिछड़ा या कमजोर नहीं होता। ‘विद्याभारती’ का संकल्प है राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत छात्रों का विकास करना, जिससे ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण हो, जो हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत हो। जो शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक दृष्टि से विकसित हो। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में कहा कि, यहां पर सिर्फ पुस्तकें ही नहीं पढ़ाई जाती थीं बल्कि सभी तरह का ज्ञान दिया जाता था। आज हमारे यहां जिसे कौशल विकास कहा जा रहा है, वो भी इस विद्यालय में सिखाया जाता था, इतना ही नहीं शस्त्र, विज्ञान की भी शिक्षा दी जाती थी। ऐसा था हमारा भारत। वैसा भारत फिर बनना चाहिए। केवल एक स्कूल या समिति से ही यह संभव नहीं हो सकता है, इसके लिए संपूर्ण समाज को भागीदार बनना होगा। इसके लिए एक पंक्ति है, जो हम सभी का ध्यान खींचती है। वर्तमान चुनौतियों का मुकाबला सफलतापूर्वक कर सकें, ऐसे छात्रों का निर्माण विद्याभारती व आदर्श विद्या मंदिर करता है। इसका अर्थ है कि देश, काल, परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए ‘युगानुकुल शिक्षा’ दी जाए। इस पर विद्याभारती ने शुरू से ही जोर दिया है। शिक्षा तो कहीं भी मिल जाएगी। लेकिन जो संस्कार मिले हैं, जिसने नींव को मजबूत किया है वे आदर्श विद्या मंदिर से मिले हैं।

उन्होंने कहा कि हम परंपराओं की ओर लौट रहे हैं। परंपराएं कभी खराब नहीं होतीं, किंतु उसमें जो रूढ़िवादिता और कुरीतियां आ जाती हैं वे खराब होती हैं। इसलिए अच्छी परंपराओं को लागू करते हुए समरस, सुसंपन्न और संस्कारित राष्ट्र जीवन यदि खड़ा करना है तो रूढ़ियों व कुरीतियों को त्याग करके जो अच्छाईयां हैं, जिसे हम हिन्दुत्व कहते हैं, इसकी ओर आना होगा।

विशिष्ट अतिथि के रूप में पर्यावरण गतिविधि के अखिल भारतीय संयोजक गोपाल आर्य ने पूर्व छात्रों के समक्ष अपने दायित्वों की ओर इशारा करते हुए कहा कि, क्या एक पूर्व छात्र के मन में ये विचार नहीं आते कि जहां मैंने शिक्षा ली, जहां पर मेरे अंदर संस्कारों का बीजारोपण हुआ, उसके लिए मेरा भी कुछ कर्तव्य होना चाहिए। इसके लिए किसी को कुछ कहने की आवश्यकता है क्या..? यह स्वयं सोचने की आवश्यकता है। आगे यह कभी कहने में नहीं आए कि, हमारे जमाने में तो आदर्श विद्या मंदिर बहुत अच्छा था, लेकिन आज क्यों नहीं हो सकता है ये? उन्होंने कहा कि किसी भी कैम्ब्रिज और आईआईटी संस्थान की एलुमनी को देख लीजिए जब छात्र ये कहते हैं कि, मैं अपने संस्थान के लिए योगदान देता हूं। हम आज यहां पर इतनी बड़ी शक्ति के रूप में इकट्ठे हुए हैं, तब मुझे ये कहना जरूरी लगता है कि, अपनी क्षमतानुसार कुछ भी सहयोग करें। डिग्री और योग्यता मिल सकती है, पर क्या कहीं वैल्यूज मिल सकती हैं। ये चरित्र निर्माण की प्रयोगशाला हैं, ये ठीक से चल सकें इसके लिए हमारा दायित्व बनता है। समाज में जो देने वाले लोग हैं, वे ऐसे विद्यालयों के लिए आगे आएंगे तो निश्चित ही इस देश का भविष्य, पीढ़ी ठीक दिशा में जाएगी।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आए। इसका उद्देश्य भावी पीढ़ी को गुलामी की मानसिकता से बाहर निकालना है। राष्ट्र के प्रति गर्व हो यह भाव नई पीढ़ी में जगाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में सरकार नई शिक्षा नीति लागू करेगी।

कार्यक्रम को स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. एम.एल. स्वर्णकार, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी मनोज जोशी, डॉ. देवेंद्र भसीन ने भी संबोधित किया। प्रबन्ध समिति के संजीव भार्गव ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी।

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