भगवा
तृप्ति शर्मा
भगवा
भगवा से क्यों चिढ़ते हो
यह रंग है खुशहाली का
सूर्योदय की लाली का
संध्या की छटा निराली का
आध्यात्मिक ज्ञान की दीप शिखा का
सभ्यता की रीत सिखाता
बलिदानों की गाथा का
नव कोंपल ज्यों धर्म पताका
जड़ता में जागृति लाने का
संस्कृति की रखवाली का
यह रंग है….॥
कर्ममयी भगवद्गीता का
त्यागमयी सती सीता का
राष्ट्र सेवा में तन मन से
अर्पित भक्ति पुनीता का
मनु की उन्नत पगड़ी का
श्रद्धा की पायल रखड़ी का
देश धर्म की रक्षा में
हुंकार उठे बलशाली का
यह रंग है……….॥
सेवा पथ पर आत्म त्याग का
मानवता के अनुराग का
सभ्यता के पवित्र राग का
दुष्टों पर उद्वेलित आग का
अरिदल के संहारण का
धर्म केतु विस्तारण का
अनाचार का समूल नाश कर
समृद्ध शांति बहाली का
यह रंग है……….॥
परहित हेतु प्राणोत्सर्ग का
तिमिर से लड़ते दीप पर्व का
पर पीड़ा में करुण बिंदु का
सहनशक्ति के अथाह सिंधु का
गद्दार दुष्ट दलन हेतु उठी
चंद्रहास विकराली का
क्रांतिवीर अन्याय विरुद्ध
अलमस्त टोली मतवाली का
ये रंग है ………॥