कश्मीर में हुई बम्पर वोटिंग, श्रीनगर में रिकॉर्ड टूटा
कश्मीर में हुई बम्पर वोटिंग, श्रीनगर में रिकॉर्ड टूटा
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और पुनर्गठन के पश्चात हो रहे लोकसभा चुनाव में कश्मीर में जम्हूरियत का चटख रंग दिखा। लोगों ने निडर होकर मतदान किया और सर्वाधिक मतदान का रिकॉर्ड बना दिया। 1989 में आतंकवाद का दौर शुरू होने के बाद हुए चुनाव में 1996 (40.94 प्रतिशत) को छोड़कर सबसे अधिक 37.98 प्रतिशत मतदान हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में श्रीनगर में 14.43 प्रतिशत मतदान हुआ था।
श्रीनगर में मतदाताओं में उत्साह रहा, कोई सीधे शादी के मंडप से मतदान केंद्र पहुंचा, तो कोई मेहंदी की रस्म के बाद, कोई शेरवानी में नजर आया तो कोई पारंपरिक वेशभूषा में, चलने फिरने में असमर्थ लोग भी व्हीलचेयर के सहारे मतदान करने पहुंचे।
जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर लोकसभा सीट पर सोमवार को मतदान के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। यहां 38 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 1996 के बाद सबसे अधिक मतदान है। इससे पहले 1996 में इस सीट पर लगभग 41 प्रतिशत मतदान हुआ था।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, वहां सोमवार रात 11 बजे तक के आंकड़ों के अनुसार 38 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। प्रधानमंत्री ने भी उत्साहजनक मतदान के लिए श्रीनगर के मतदाताओं की सराहना की।
निर्वाचन क्षेत्र के कश्मीरी पंडित जम्मू में विशेष मतदान केंद्रों पर पहुंचे। श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत श्रीनगर, गांदरबल, पुलवामा जिले, बडगाम व शोपियां जिलों में 2,135 मतदान केंद्रों पर सुबह 7:00 बजे मतदान शुरू हुआ। यहां 8500 से ज्यादा मतदान कर्मी तैनात थे। सभी मतदान केंद्रों की सीसीटीवी से निगरानी की जा रही थी। दो लाख के लगभग पहली बार के मतदाता और विस्थापित कश्मीरी मतदाताओं के लिए 26 विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे।
1996 में सबसे अधिक मतदान
निर्वाचन आयोग के अनुसार, पिछले 34 वर्षों में इस निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक मतदान 1996 में हुआ था। उस समय लगभग 41 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। 2019 में 14.43 प्रतिशत मत पड़े थे, जबकि पिछले संसदीय चुनावों में यह आंकड़ा 25.86 प्रतिशत (2014), 25.55 प्रतिशत (2009), 18.57 प्रतिशत (2004), 11.93 प्रतिशत (1999) और 30.06 प्रतिशत (1998) था।
अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू कश्मीर में लगातार एक-एक कर नया रिकॉर्ड स्थापित हो रहा है। एक दौर था जब अलगाववाद और आतंकवाद के भय से कश्मीर घाटी में मतदान का प्रतिशत सबसे निचले स्तर पर रहता था। लेकिन आज ना सिर्फ यह स्थिति बदली है, बल्कि इस बार आर्टिकल 370 की समाप्ति के बाद पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव में एक नया रिकॉर्ड बना।