राजस्थान का पत्थर और चंडीगढ़ की ईंट से राम मंदिर का निर्माण

राजस्थान का पत्थर और चंडीगढ़ की ईंट से राम मंदिर का निर्माण

राम मंदिर विशेष

राजस्थान का पत्थर और चंडीगढ़ की ईंट से राम मंदिर का निर्माणराजस्थान का पत्थर और चंडीगढ़ की ईंट से राम मंदिर का निर्माण

  • ‘राम नाम’ की ईंट देगी मंदिर को मजबूती…
  • रामलला के मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पत्थरों के बीच खाली जगह में लग रही है ‘राम नाम’ की ईंट

जयपुर। ‘रामसेतु’ निर्माण में जिन पत्थरों का उपयोग किया गया था, उन पर ‘राम- नाम’ लिखा गया था। जिनके पानी में तैरने के साक्ष्य अब भी चौंकाते हैं। हजारों वर्षों बाद इतिहास फिर अपनी कहानी दोहराने जा रहा है। अंतर बस इतना है कि ‘राम-नाम’ इस बार ईंटों पर लिखा गया है, वे ईंटें जो राम मंदिर निर्माण में लगी हैं। यह हर भारतीय और विशेषकर राजस्थानियों के गौरवान्वित होने का क्षण है। मंदिर परिसर की हर दीवार और सीढ़ियों में बंसी पहाड़पुर के पत्थरों के बीच खाली जगह भरने के काम आएंगी ये ईंटें। जिनका स्पर्श पाकर यहां आने वाले दर्शनार्थी व भक्तगणों का रोम- रोम प्रभु श्री ‘राम-नाम’ से खिल उठेगा। आपने सुना होगा राम से बड़ा राम का नाम है। अब राम मंदिर के निर्माण में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिल रहा है। भगवान रामलला का बहुप्रतीक्षित मंदिर ऐसी ही अद्भुत कहानियों को अपने निर्माण में समेटे हुए है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कैंप कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राम मंदिर में जो सीढ़ियां बनाई जा रही हैं, उन्हीं सीढ़ियों में इन ईंटों का उपयोग किया जा रहा है। क्योंकि राम मंदिर में बड़े-बड़े पत्थर लगाए जा रहे हैं और जहां पर पत्थर नहीं लग पा रहे हैं वहां  पर इन दोनों का प्रयोग किया जा रहा है।

वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग—
ईंटों पर राम नाम लिखने व इसे खाली जगह पर पत्थरों के बीच में लगाने के लिए वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया गया है। ताकि मंदिर हजारों साल सुरक्षित रहे। ईंट बनाने से पहले विशेषज्ञों से राय ली गई। विशेषतौर पर इंजीनियर्स से इस बारे में गहनता के साथ बातचीत होने और ईंटों की मजबूती के तकनीकी पहलुओं के बारे में जानकारी जुटाई गई है। इसके उपयोग पर सौ प्रतिशत सहमति बनने के बाद ही इन ईंटों को लगाया गया है।

रिक्त स्थान को भरेगी ईंट—
भगवान रामलला के मंदिर में राजस्थान के बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है। पत्थरों की डिजाइन के बीच आने वाली खाली जगह में वैज्ञानिक पद्धति से निर्मित चंडीगढ़ में बनी ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है। इन ईंटों को बनाने के लिए चंडीगढ़ की एक कंपनी को विशेष ऑर्डर दिया गया है। यहां से बड़ी संख्या में राम नाम की ईंटें अयोध्या पहुंची हैं। इन्हीं ईंटों को श्रीराम जन्मभूमि के मंदिर के अंदर दो पत्थरों के बीच में आने वाले रिक्त स्थान में लगाया गया है।

सलाखों के रूप में भी काम करेंगी ईंटें—
सभी ईटों की गुणवत्ता जांच कर के ही लगाया जा रहा है। ईंटों से रैम्प बनाया गया है। इसके अलावा ईंट का प्रयोग सीढ़ियों में भी किया गया है। राम नाम की ईंटों के अलावा 3 होल की ईंटें भी लगाई जा रही हैं, जो पत्थरों को परस्पर जोड़ने के लिए सलाखों के रूप में काम करेंगी। जिससे पत्थरों में सैकड़ों वर्षों तक मजबूती बनी रहेगी और वे भूकंप रोधी रहेंगे। अब तक लगभग डेढ़ लाख ईंटें चंडीगढ़ से अयोध्या आ चुकी हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य—
मंदिर निर्माण में जहां पत्थर नहीं लगाए जा सकते हैं, वहां पर जो खाली स्थान बच रहा है, उन्हीं स्थानों को भरने के लिए इन ईंटों का प्रयोग किया जा रहा है। ईंटों में इतनी मजबूती है कि एक बार लग जाने के बाद इन्हें तोड़ना मुश्किल है।

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