लाइलाज नहीं है मिर्गी, जादू-टोने से बचे- डॉ.श्रवण कुमार

जयपुर। मिर्गी एक ऐसा रोग है, जिसके होने पर मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय कुछ लोग पहले जादू-टोने का सहारा लेते हैं। बाद में जब तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है तो डॉक्टर के पास आते हैं, लेकिन तब तक काफी ब्रेन डेमेज हो चुका होता है।

मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.श्रवण कुमार चौधरी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व में करीब 50 लाख लोग मिर्गी रोग से पीड़ित हैं, जिसमें से 80 प्रतिशत लोग विकासशील देशों में रहते हैं। मिर्गी किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है। कुछ प्रकार की मिर्गी बचपन में होती है तो कुछ बचपन बीतने के बाद समाप्त हो जाती है। लगभग 70 प्रतिशत बच्चे, जिनको बचपन में मिर्गी थी, बड़े होने पर इससे छुटकारा पा जाते हैं। कुछ मिर्गी के ऐसे भी दौरे हैं जैसे फेब्राइल सीजर जो बचपन में केवल बुखार के दौरे आते हैं और बाद में कभी नहीं। उन्होंने बताया कि मिर्गी दो प्रकार की होती है। आंशिक मिर्गी में दिमाग के एक भाग में दौरा पड़ता है और व्यापक मिर्गी में दिमाग के पूरे भाग में दौरा पड़ता है। 2 से 3 साल तक दवाइयां खाने से मिर्गी की बीमारी ठीक हो सकती है। सिर्फ कुछ लोगों को ही मिर्गी ठीक करने के लिए पूरी जिंदगी दवाई खानी पड़ती है। डॉक्टर को दिखाने के बाद ही मिर्गी की दवाइयां शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ 10 से 20 फीसदी लोगों को ही ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन हेमरेज से भी मिर्गी होने के चांस रहते हैं।

मिर्गी को लेकर समाज में फैली है भ्रांतियां

मिर्गी को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां फैली होती है, लेकिन इस बीमारी में मस्तिष्क की विद्युतीय प्रक्रिया में व्यवधान पड़ने से शरीर के अंगों में दौरा पड़ने लगता है। मिर्गी का दौरा पडने पर शरीर अकड़ जाता है, आंखों की पुतलियां उलट जाती हैं। हाथ, पैर और चेहरे के मांसपेशियों में खिंचाव होने लगता है।

मिर्गी के प्रमुख कारण

मिगी के मुख्य कारणों में सिर पर चोट लगना, दिमागी बुखार आना, दिमाग में कीड़े की गांठ बनना, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन स्ट्रोक, शराब या नशीली दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल करना आदि शामिल है।

दौरा पडने पर यूं रखे खयाल

डॉ. वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्रवण कुमार चौधरी ने बताया कि अगर किसी को दौरा आता है तो उस समय व्यक्ति का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। ऐसे में रोगी को सुरक्षित जगह पर एक करवट लिटा दें। उसके कपड़े ढीले कर दें तथा उसे खुली हवा में रखे। आसपास भीड़ ना लगाएं व खुली हवा में रखें, सिर के नीचे मुलायम कपड़ा रखें। मिर्गी के दौरे के समय रोगी के मुंह में कुछ न डाले।

मिर्गी के लक्षण

बात करते हुए शून्य में खो जाना,बॉडी के किसी अंग की मांसपेशियों में अचानक फड़कना, अचानक से बेहोश हो जाना एवं पूरे शरीर की मांसपेशियों में जकड़न होना।

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *