संस्कार भारती के अनूठे अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजन का समापन

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भारतीय सनातन संस्कृति का आध्यात्मिक विस्तार विश्वव्यापी रहा है, जिसके दर्शन हमें आज भी विश्व के भिन्न भिन्न भागों में होते हैं। यूरोप के बाल्टिक, स्लेविक, रोमुआ और केल्टिक आदि मूल समुदाय आज भी भारतीय संस्कृति से निकटता अनुभव करते हैं।

आगामी समय भारत के विश्वस्तरीय अभ्युदय का है। संस्कार भारती द्वारा संगीत को आधार बना कर अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक आदान प्रदान के उद्देश्य से गत वर्ष लिथुआनिया के एक संगीत दल “कुलग्रिंदा” को भारत आमंत्रित किया गया था। इसी अनुक्रम में इस वर्ष पोलैण्ड के एक सांस्कृतिक दल “दुनायोवी” को भारत निमन्त्रित किया गया, जिसका तृतीय और समापन कार्यक्रम 15 फरवरी को हरिद्वार में संस्कार भारती हरिद्वार इकाई के तत्वावधान में सरस्वती विद्या मंदिर BHEL के सभागार में सम्पन्न हुआ।

पोलैण्ड का यह स्लेविक समुदाय मूलरूप से प्रकृति पूजक है। इसकी पौराणिक मान्यताएँ, देवी देवता, रीति-रिवाज आदि भारतीय जनजाति परंपराओं से बहुत मेल खाते हैं। कार्यक्रम में जहॉं एक ओर इस समूह ने अपनी संगीतमय प्रस्तुतियां दीं, वहीं इन्हें भारतीय संगीत व संस्कृति से परिचित कराने हेतु स्थानीय कलाकारों ने कथक, गढ़वाली नृत्य और वाद्य वादन की अनेक उत्कृष्ट प्रस्तुतियाँ दीं।

स्थानीय कार्यकर्ताओं ने “दुनायोवी” संगीत दल को हर की पैड़ी के भी दर्शन कराये। सम्पूर्ण आयोजन में राकेश मालवीय, संतोष साहू आदि की बड़ी भूमिका रही।

संस्कार भारती के अनूठे अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक आयोजन का समापन

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