हमारे प्राचीन ज्ञान और आधुनिक ज्ञान को कम करके आंकना उचित नहीं- डॉ. मोहन भागवत
हमारे प्राचीन ज्ञान और आधुनिक ज्ञान को कम करके आंकना उचित नहीं- डॉ. मोहन भागवत
• भारत का स्वास्थ्य मॉडल ‘वाणिज्य’ नहीं ‘सेवा’ है –
लातूर, देवगिरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत पहले एक विकसित जीवन जीता था। हमने चुनौतियों का सामना करते हुए कई प्रयोगों और निष्कर्षों के माध्यम से जीवन जीने का सही तरीका जान लिया था। लेकिन आक्रमण काल में विश्व भारत से आगे निकल गया और गुलामी के कारण हमारा विकास अवरुद्ध हो गया। इसलिए, यदि भारत को अपना गौरव पुनः प्राप्त करना है, तो स्वास्थ्य में भी सुधार करना होगा और यदि भारत को स्वस्थ रहना है, तो लोक सहभाग आवश्यक है। सरसंघचालक लातूर में विवेकानन्द कैंसर एवं सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (विस्तारित) के लोकार्पण कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन ज्ञान और आधुनिक ज्ञान को कम करके आंकना उचित नहीं है। इसके अलावा एलोपेथी और आयुर्वेद की अपनी अलग विशेषताएं हैं, स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए दोनों का उपयोग किया जाना चाहिए। विवेकानन्द अस्पताल का प्रोजेक्ट शुरू करने वाले चार डॉक्टरों की संख्या आज बढ़ गई है। इसमें कई युवा और मातृशक्ति भी है. उन्होंने कहा कि धार्मिक तीर्थों में तपस्या करने वाले तपस्वियों की ऊर्जा वहां जाने वाले भक्तों को मिलती है, उसी प्रकार यह अस्पताल भी एक तीर्थ है, इसकी प्रेरणा और ऊर्जा सभी के लिए उपयोगी साबित होगी। उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दीं।
टाटा कैंसर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे ने कहा – ‘अब ‘वेस्ट इज़ बेस्ट’ का समय नहीं है, हम भी उनकी तरह सामर्थ्यशाली हो गए हैं, लेकिन हमें और अधिक करने की आवश्यकता है।’ भारत में 67% कैंसर को केवल देखभाल, नशा ना करने और स्वच्छता के माध्यम से रोका जा सकता है। यदि यह ध्यान रखा गया तो भविष्य में भारत दुनिया का एकमात्र रहने योग्य देश बना रहेगा। अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद एक अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल कर उसकी परिणामकारकता दुनिया को दिखाने की आवश्यकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ”दुनिया सोचती है कि स्वास्थ्य का मॉडल ‘वाणिज्य’ है, लेकिन भारत का स्वास्थ्य मॉडल ‘सेवा’ है। अगर हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का उपयोग व्यवहार में लाएं तो हम कई बीमारियों और चुनौतियों को कम कर सकते हैं। साथ ही हमारे देश में जीवन जीने का तरीका जनभागीदारी से ही रहा है। विश्व बन्धुत्व की संस्कृति को आत्मसात कर जीना ही हमारी पहचान है। भारत उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हम कैंसर जैसी चुनौतियों पर अवश्य विजय प्राप्त करेंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, टाटा कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे, देवगिरी प्रांत संघचालक अनिल जी भालेराव, विवेकानंद हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अनिल अंधुरकर, वैद्यकीय निदेशक अरुणाताई देवधर और डॉ. ब्रिजमोहन झवर एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
वर्ष 2015 में विवेकानन्द कैंसर हॉस्पिटल का तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने उद्घाटन किया था। 2018 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगतप्रकाश नड्डा की उपस्थिति में केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त वित्तीय भागीदारी से अस्पताल को Tertiary Cancer Care Centre के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई। तदनुसार, संस्था ने एक ही छत के नीचे तीनों कैंसर उपचार अर्थात् कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी और अन्य सुपर स्पेशलिटी विभाग खोलकर कैंसर अस्पताल का विस्तार किया है। इस विस्तारित अस्पताल का लोकार्पण आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचाल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, निदेशक, टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल, मुंबई की विशेष उपस्थिति में हुआ।
इस अवसर पर डॉ. मोहन भागवत और केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया। पद्म भूषण डॉ. अशोक कुकड़े द्वारा लिखित पुस्तक ‘ध्येय साधनेचे सांगाती’ का लोकार्पण किया।
कार्यक्रम के अंत में अनिल अंधुरीकर ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि जिन हाथों ने अयोध्या में रामलला की पूजा की, वे हाथ विवेकानन्द अस्पताल के मरीजों को आशीर्वाद देने के लिए यहां आए हैं।
यह सही है भारत का स्वास्थ्य मॉडल ‘वाणिज्य’ नहीं ‘सेवा’ है । किन्तु वैश्विक बाजारी शक्तियों ने न केवल स्वास्थ्य बल्कि मां के दूध और कोख तक को विक्रय या किराए पर देने की वस्तु बना डाला है। इस लिए हमारी शिक्षा और संस्कार की व्यवस्था को ठीक करना होगा