देशभक्ति के गीत… (कविता)

बचपन में वीर शिवाजी को, जीजाबाई समझाती थी।

इतिहास के काले पन्नों से, वो उनमें जोश जागती थी।।

बिखरा था सारा देश जहां, ऐसे स्वार्थ में डूबे थे।

एक हिंदू -हिंदू को मारे, मुगलों के ये मंसूबे थे।।

बचपन में वीर शिवाजी को, जीजाबाई समझाती थी।

  इतिहास के काले पन्नों से, वो उनमें जोश जागती थी।।

ऐसा ही रहा तो देख शिवा, फिर किसको कौन बचाएगा।

आपस की लड़ाई के कारण, पूरा भारत मिट जाएगा ।।

 बचपन में वीर शिवाजी को, जीजाबाई समझाती थी।

इतिहास के काले पन्नों से, वो उनमें जोश जागती थी।।

सौगंध है तेरी ही माता, मैं अपना लहू बहा दूंगा।

भारत माता के आंचल से, मुगलों का नाम मिटा दूंगा।।

 

बचपन में वीर शिवाजी को, जीजाबाई समझाती थी।

इतिहास के काले पन्नों से, वो उनमें जोश जागती थी।।

 

      –  राम गोपाल पारीक

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