राम मंदिर बन गया, अब राष्ट्र मंदिर का निर्माण करना है- विशाल कुमार
राम मंदिर बन गया, अब राष्ट्र मंदिर का निर्माण करना है- विशाल कुमार
श्रीराम जन्मोत्सव आयोजन समिति सरदारशहर द्वारा तेरापंथ भवन में आयोजित भारतीय नववर्ष विक्रम संवत् 2081 के पंचांग विमोचन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विशाल कुमार, सह प्रान्त प्रचारक ने अपने सम्बोधन में कहा कि राम मंदिर तो बन गया है लेकिन अब राम राज्य की स्थापना करनी है तो राष्ट्र मंदिर का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा कि संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार कहते थे कि कोई राष्ट्र सेना और शस्त्र के आधार पर ही शक्तिशाली नहीं होता है, उस देश में रहने वाला समाज और उसके लोगों की राष्ट्रीय नीति और चरित्र कैसा है इस आधार पर उस देश की शक्ति तय होती है। संघ ने भी इस बार अपनी प्रतिनिधि सभा मे ‘राम मंदिर निर्माण से राष्ट्र पुनरुत्थान की ओर’ ऐसा प्रस्ताव पारित किया है तथा समाज के समक्ष पंच प्रण के संकल्प का आग्रह किया है। जिनमें कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, ‘स्व’ आधारित व्यवस्था का आग्रह एवं नागरिक कर्तव्य शामिल हैं। भगवान राम का जीवन हमें उनके सब चरित्रो में दिखता है आदर्श भाई, आदर्श पुत्र, आदर्श राजा, आदर्श पति। इन सभी के कारण ही प्रभु राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये। भारतीय सनातन परंपरा में कन्या को देवी स्वरूप माना गया है चाहे वह महलों में रहे या झोपड़ी में। मातृशक्ति से आह्वान है कि अगर भूखे को भोजन करवाने से ही भगवान की सेवा होती है तो कन्या पूजन में ऐसी देवियों को भोजन करवायें, जिनको वास्तव में भोजन की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शौर्य चक्र विजेता मेजर पवन कुमार ने उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज हमारे समाज पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव इतना गहरा हो गया है कि आज का युवा इसे ही आधुनिकता समझने लग गया है। भाषा, परिधान, भोजन आदि में पश्चिमी सभ्यता की झलक देखने को मिलती है। दुनिया की सारी सभ्यताएं मिट गईं, लेकिन भारतीय संस्कृति ही है जो आज भी उसी रूप में जीवित है। इसलिए युवाओं को गौरवशाली भारतीय संस्कृति से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में अपनी संस्कृति के अनुरूप सकारात्मक परिवर्तन करने चाहिये।
कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में भद्रकाली शक्तिपीठ, राजलदेसर के मठाधीश श्री शिवेन्द्र स्वरूप सरस्वती ने कहा कि जब जब धर्म की हानि होती है तब तब ईश्वर इस भूमि पर जन्म लेते हैं। इस बात के दो पहलू हैं कि विश्व में धर्म केवल भारत में ही है और जहाँ धर्म होगा वहीं हानि की संभावना है इसलिए ईश्वर भारत भूमि पर अवतरित होते हैं। प्रभु राम इस धरती पर केवल रावण का वध करने के लिए ही नहीं आये थे अपितु जो हम मनुष्यों के अंतः में बैठा काम, क्रोध, लोभ,कपट आदि का रावण है उसका भी विनाश करने आये थे। अपने मर्यादापूर्ण जीवन व चरित्र से प्रभु राम ने हमें एक आदर्श जीवन की शिक्षा दी। महाराज ने कहा कि धर्म तभी हमारी रक्षा करेगा जब हमारा जीवन धर्ममय होगा। अगर रामराज्य को लाना है तो जीवन को राममय बनाना होगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभु श्री रामलला के चित्र के समक्ष द्वीप प्रज्वलित कर किया गया। मंचस्थ कार्यक्रम के अध्यक्ष उद्योगपति शिवरतन सर्राफ, समाज सेवी व उद्योगपति ओमप्रकाश जोशी, जिला संघचालक डॉ. बनवारीलाल शर्मा, भारतीय किसान संघ के कृष्ण मुरारी, समाजसेवी जितेन्द्र सिंह शेखावत, समाज सेवी जगदीश हर्षवाल का समिति के अध्यक्ष सुबोध सेठिया व सचिव राकेश इन्दौरिया ने श्रीराम मंदिर अयोध्या की प्रतिकृति व दुपट्टा भेंट कर स्वागत किया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना रामकिशन ने रखी। इस अवसर पर श्री रामजन्मभूमि विजयगाथा पृष्ठभूमि पर आधारित नववर्ष विक्रम सम्वत् 2081 के पंचाग की रूपरेखा समिति के सदस्य सुभाष सोनगरा ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संचालन प्रकाश प्रजापत ने किया। इस अवसर पर तहसील के सैकड़ों प्रबुद्धजन, मातृशक्ति व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।