रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से रामराज्य की शुरुआत हो गई है- सुनील आंबेकर
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से रामराज्य की शुरुआत हो गई है- सुनील आंबेकर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि भगवान राम सबके हैं, यह भाव जिन तक नहीं पहुंचा, उन तक पहुँचाना आवश्यक है। उन्होंने यह बात सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक रामजन्मभूमि तथा रामजन्मभूमि कॉमिक के विमोचन के अवसर पर कही। रामजन्मभूमि पुस्तक के लेखक अरुण आनंद हैं। रामजन्मभूमि कॉमिक को डॉ. अमित कुमार वार्ष्णेय ने लिखा है।
मुख्य वक्ता सुनील आंबेकर ने कहा, हम भाग्यशाली हैं जो उस युग में उपस्थित हैं जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय जैसा वातावरण था, उससे हम यह कल्पना कर सकते हैं कि जब प्रभु राम वनवास पूरा करके अयोध्या वापस आए तब वहॉं का वातावरण कैसा रहा होगा। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से वास्तव में राम राज्य की शुरुआत हो गई है।
उन्होंने कहा कि भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में अपने सम्मान के लिए इतना लंबा संघर्ष नहीं हुआ, जितना श्रीराम मंदिर के लिए हुआ। विश्व की कई सभ्यताएं मिट गईं, लेकिन हम आज भी हैं। श्रीराम मंदिर के संघर्ष से जुड़े विषय आम जनता तक जाने चाहिए। हमें पूरी दुनिया को बताना होगा कि श्री राम मंदिर क्या है और उसका महत्व क्या है? सुनील आंबेकर ने कहा कि जहां अस्तित्व का प्रश्न है, अपनी अस्मिता का प्रश्न है, वहां संघर्ष होना चाहिए। जो समाज ऐसी परिस्थितियों में संघर्ष नहीं करता है वह मिट जाता है।
इस अवसर पर आध्यात्मिक गुरु अनीश ने कहा कि भारत की सभ्यता पौराणिक सभ्यता है। वह अंतर्मुखी रही क्योंकि हमें जीवन के रहस्य को जानना था। यही कारण है कि हमारी सभ्यता आज तक मिट नहीं पाई।
रामजन्मभूमि पुस्तक के लेखक अरुण आनंद ने कहा कि राम मंदिर सभ्यता की मूल्यों की लड़ाई का प्रतीक है।
रामजन्मभूमि कॉमिक के लेखक डॉ. अमित कुमार वार्ष्णेय ने कहा कि यह कॉमिक स्मृतियों का संकलन है।
जय श्रीराम।
राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर की ओर।