सोशल मीडिया का मायावी संसार, सावधानी आवश्यक
गीता यादव
सोशल मीडिया का मायावी संसार, सावधानी आवश्यक
ऑनलाइन डेटिंग और रोमांस एप के जरिए दुनिया-भर में धोखाधड़ी और ठगी के मामले बढ़े हैं। सोशल मीडिया और साइबर फ्रॉड को लेकर जागरूकता की कमी के चलते महिलाएं धोखाधड़ी और दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं। साइबर एक्सपर्ट की मानें, तो इस जाल में फंसकर शर्म और बदनामी के डर से कई युवक-युवतियां आत्महत्या करने को विवश हुए हैं।
दुनिया-भर के लोग इंस्टा और फेसबुक जैसे प्लेटफार्म पर मिलते हैं, दोस्त बन जाते हैं। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल जाती है। नए तरह के रिश्तों का यह मायावी संसार बेहद लुभावना है। इसके माध्यम से अनजान लोग आसानी से आपस में जुड़ जाते हैं। हाल के दिनों में ऑनलाइन प्यार की ऐसी कई कहानियां सामने आई हैं, जिनमें लोगों ने सरहद तक पार कर ली। लेकिन यह सोशल मीडिया देखने में जितनी रोमांचक है, उसके खतरे भी हजार हैं। क्योंकि जब चैटिंग से शुरू हुई दोस्ती का सफर छेड़खानी, दुष्कर्म, यौन शोषण, शादी के नाम पर झांसे और आर्थिक शोषण पर समाप्त होता है, तब स्थिति बहुत दुखदायी हो जाती है।
पुलिस आंकड़ों पर ध्यान दें तो, सोशल मीडिया और डेटिंग साइट्स ने लड़कियों के अपहरण की घटनाओं का ग्राफ बढ़ा दिया है। पुलिस जांच में सामने आया है कि अपहरण के जो मुकदमे लिखे गए, उनमें बड़ी संख्या में आरोपित से पहचान सोशल मीडिया पर हुई थी, जो प्यार में बदल गई। साथ में जीने-मरने की कसमें खाई गईं। लड़कियों ने घर छोड़ा। जब ध्यान आया कि भूल हो गई तब तक देर हो चुकी थी। फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से दोस्ती करके शादी करने का झांसा देने और होटल में बुलाकर दुष्कर्म करने जैसे मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। दुष्कर्म के मामलों में 30 से 40 प्रतिशत मामले इसी तरह के होते हैं। वर्चुअल चैट्स और वीडियो कॉलिंग के माध्यम से मुलाकातों ने अपराधियों के लिए नए-नए रास्ते खोल दिए हैं। पिछले एक वर्ष में डिजिटल रोमांस स्कैम की संख्या में भी 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एशिया के कई देशों में यह ऑनलाइन रोमांस स्कैम धड़ल्ले से चल रहा है। भारत ही नहीं विदेशों में भी बड़ी संख्या में लोग इसके शिकार हो रहे हैं। लेकिन सिर्फ 20 प्रतिशत लोग ही इसकी शिकायत पुलिस से करते हैं।
न्यूयॉर्क में कराए गए कॉम्बैटिंग ऑनलाइन वॉयलेंस अगेंस्ट वुमन एंड गर्ल्स : अ वर्ल्ड वाइड वेक-अप नाम के सर्वे में लगभग 86 देशों का अध्ययन किया गया। जिसमें सामने आया कि इंटरनेट का प्रयोग करने वाली लगभग तीन चौथाई महिलाएं किसी न किसी प्रकार के साइबर क्राइम का शिकार होती हैं। सर्वे में यह बात भी सामने आई कि भारत में साइबर अपराध के मामलों में शिकायत करने में महिलाओं की संख्या काफी कम है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में केवल 35 प्रतिशत महिलाओं ने साइबर अपराध की शिकायत की, जबकि 46.7 प्रतिशत पीड़ित महिलाओं ने शिकायत ही नहीं की। वहीं 18.3 प्रतिशत महिलाओं को इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। दिल्ली एनसीआर में एक गैंग ने लगभग 700 महिलाओं के साथ ठगी की, जो इंस्टाग्राम पर दोस्ती करके अंजाम दी गई थी। एफबीआई के अनुसार रोमांस घोटाला तब होता है, जब एक अपराधी फर्जी प्रोफाइल बनाता है। फेसबुक पर कम से कम 20 प्रतिशत ऐसे यूजर हैं, जो फर्जी नाम, पहचान और फोटो का प्रयोग करके चैटिंग करते हैं। बेहतरीन प्रोफाइल बनाकर पहले दोस्ती और फिर रात भर बातें। फिर यह कहना कि भारी मुसीबत में फंस गया हूं और फिर शुरू हो जाता है ठगी का धंधा। सामने वाला इतना भावुक हो जाता है कि तुरंत भुगतान कर देता है। जैसे ही पैसे का भुगतान होता है, फेक प्रोफाइल क्लोज हो जाता है। उसके बाद यह समझ में आता है बिना सोचे-समझे ऑनलाइन प्यार के चक्कर में पड़कर वह अपना पैसा गंवा चुके हैं।
साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर फोटो के साथ-साथ वीडियो अपलोड करने का शौक भी लोगों में तेजी से बढ़ा है। कोई रील्स बनाकर डालता है, कोई बच्चे का वीडियो डालता है, लेकिन अब यह भी बेहद खतरनाक बनता जा रहा है क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से आवाज चुराई जा रही है। बाद में उसका प्रयोग ठगने के लिए किया जा रहा है। आजकल हनी ट्रैप की घटनाएं भी चर्चा में हैं। व्हाट्सएप या मैसेंजर पर किसी अज्ञात नंबर/प्रोफाइल से लड़की/लड़के द्वारा चैटिंग की जाती है। फिर वीडियो कॉल किया जाता है और जैसे ही आप कॉल उठाते हैं तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के माध्यम से उसके द्वारा आपकी 10-15 सेकेंड की एक वीडियो क्लिप बना ली जाती है और उस क्लिप को एडिट कर आपको ब्लैकमेल किया जाता है। वीडियो डिलीट कराने के लिए पैसे की मांग की जाती है।
इन दिनों इन ठगों के निशाने पर मैट्रीमोनियल साइट्स पर दूल्हे की तलाश कर रहे लोग भी हैं। यह सीमा पार का गिरोह है, जिसमें अधिकांश ठग नाइजीरियन हैं। ठग फेसबुक पर अपने प्रोफाइल में आकर्षक युवक की फोटो लगाकर स्वयं को विदेश में डॉक्टर बिजनेसमैन या उद्योगपति बताते हैं। इसके बाद महिलाओं को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजते हैं। दोस्ती करने के बाद लंबी चैटिंग करते हैं। शादी करने का आश्वासन देते हैं और फिर अंत में विदेश से एक महंगा गिफ्ट भेजने का झांसा देते हैं। इसके बाद गिफ्ट को भारत में छुड़ाने, कस्टम विभाग में फंसने और फिर उसे छुड़ाने आदि के नाम पर पैसा मंगवाते हैं। ये आवाज बदलने में विशेषज्ञ होते हैं। इनका लक्ष्य चालीस पार की महिलाएं होती हैं। इनके जाल में फंसकर महिलाएं इतनी बेबस हो जाती हैं कि आत्महत्या तक कर लेती हैं। जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा और यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के अध्ययनकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह पाया कि ऑनलाइन रामांस से जुड़ी धोखाधड़ी कोई संयोग नहीं, बल्कि इसकी रणनीति सोच-समझकर बनाई जाती है। अनुसंधान से पता चला कि ठग पीड़ितों से पैसा ठगने के लिए विभिन्न सोशल इंजीनियरिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका के 64 प्रतिशत व्यस्कों का कहना है कि सोशल मीडिया का जीवन पर सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
लेकिन प्यू रिसर्च सेंटर के आंकड़ों के अनुसार 72 प्रतिशत लोग कम से कम एक सोशल मीडिया अकाउंट बनाए रखते हैं। जैसे-जैसे ऑनलाइन और वास्तविक जीवन के बीच की रेखा कम होती जा रही है, कुछ लोग स्थायी रूप से लॉग ऑफ कर रहे हैं क्योंकि नकारात्मक पहलू बहुत गहरे हैं। एक सर्वे के अनुसार, सोशल मीडिया पर 36 प्रतिशत लड़कियों को अजनबियों द्वारा परेशान किया जाता है। वहीं 32 प्रतिशत को फेक आईडी सोशल मीडिया यूजर्स अपशब्द और अश्लील मैसेज भेजते हैं। इसके परिणामस्वरूप ऑनलाइन उत्पीड़न ने 42 प्रतिशत महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक रूप से तनावग्रस्त कर दिया है। साथ ही उनमें आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी पैदा की है। यही कारण है कि पांच में से एक लड़की ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म से उचित रूप से दूरी बना ली है। ऐसी ही ऐप्स को लेकर अंतरराष्ट्रीय अपराधिक पुलिस संगठन इंटरपोल ने पिछले वर्ष दुनिया के 194 देशों को अलर्ट जारी किया था, जिनमें भारत भी शामिल है। अलर्ट के अनुसार इंटरनेट मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती करने से बचें। अपने प्रोफाइल में निजी जानकारियों को शामिल न करें। वित्तीय अनुरोध करने वाले ऑनलाइन प्रेमी-प्रेमिकाओं से सावधान रहें। ऑनलाइन लिंक और इंटरनेट मीडिया पर किसी भी तरह के ऑफर और लालच में ना आएं। कोई रुपयों की मांग करता है तो पहले जांच लें। जांच करने के बाद ही किसी भी बैंक खाते में राशि डालें। फिर भी अगर आप ठगी का शिकार हो जाते हैं तो तुरंत साइबर हेल्प लाइन नंबर और अपने निकट के साइबर थाने में लिखित शिकायत दें। इस तरह की सावधानियों को ध्यान में रखकर ही इस परेशानी से बचा जा सकता है। ऑनलाइन धोखाधड़ी सिर्फ आर्थिक घोटाला ही नहीं है, इसमें पीड़ित को भावनात्मक क्षति भी होती है। उसके लिए भविष्य में किसी पर भी आसानी से भरोसा करना मुश्किल हो जाता है।