संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी के संकलित विचार : मातृभूमि का विशाल चित्र
(3) मातृभूमि का विशाल चित्र हमारे महाकाव्य तथा पुराण भी हमारी मातृभूमि का वैसा ही…
(3) मातृभूमि का विशाल चित्र हमारे महाकाव्य तथा पुराण भी हमारी मातृभूमि का वैसा ही…
(2) हमारी मातृभूमि की सीमाएं हिमालय उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा पश्चिम में फैली अपनी शाखा-प्रशाखाओं…