अनियमित माहवारी से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा
सीमा अग्रवाल
अनियमित माहवारी से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा
भारत को दुनिया की डायबिटीज कैपिटल कहा जाता है। दुनियाभर में मधुमेह के जितने रोगी हैं, उसका 17 % अकेले भारत में हैं। यूनाइटेड किंगडम के जर्नल लैसेंट में प्रकाशित ICMR के अध्ययन के अनुसार, 2019 में भारत में 70 मिलियन लोग मधुमेह से ग्रसित थे। माना जा रहा है कि जल्द ही यह आंकड़ा बढ़कर 101 मिलियन हो जाएगा। अध्ययन में आगे कहा गया कि मधुमेह के प्रसार की दर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में कहीं अधिक है। जहां पुरुषों में यह 8.5 % है, वहीं महिलाओं में इसकी दर 10.2 % है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में बढ़ती माहवारी अनियमितता और PCOS उनमें मधुमेह का खतरा बढ़ाते हैं। 2013 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि माहवारी के ल्यूटल फेज के दौरान महिलाओं के रक्त में शर्करा का स्तर ज्यादा था। दरअसल मासिक चक्र के ल्यूटल फेज में प्रोजेस्ट्रॉन का लेवल बढ़ जाता है, जिससे खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ता है और प्रीडायबिटीज की स्थिति बनाता है। अगर माहवारी लंबी चले या अनियमित हो तो बढ़े हुए प्रोजेस्ट्रान का लेवल कोशिकाओं को इंसुलिन प्रतिरोधी बनाता है। परिणामस्वरूप महिलाएं टाइप-2 डायबिटीज की शिकार हो जाती हैं। ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टर महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान बार-बार मधुमेह की जांच कराने की सलाह देते हैं। माहवारी नियमित रहे, इसलिए पोषणयुक्त आहार लेने को कहते हैं।
2020 में प्रकाशित अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के एक जर्नल में इस बात का खुलासा हुआ कि, मासिक धर्म और मधुमेह में घनिष्ठ संबंध है। जर्नल में बताया गया कि वे महिलाएं जो मोटापे की शिकार हैं एवं जिनमें महावारी अनियमित है, वे मधुमेह के हाई रिस्क जोन में हैं।
आंकड़ों की मानें तो आज भारत में 5 में से एक महिला PCOS से पीड़ित है। महिला मधुमेह रोगियों की बढ़ती संख्या इसमें वृद्धि कर सकती है। टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित महिला का अग्नाशय अधिक मात्रा में इंसुलिन रिलीज करता है। यह ओवरीज में एंड्रोजन मेल सेक्स हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाता है। परिणामस्वरूप ओवरीज को ओव्यूलेट करने में समस्या आती है और माहवारी समय पर नहीं आती और ओवरी में छोटी छोटी सिस्ट बन जाती हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर कम कार्बोहाइड्रेट और शर्करा वाला भोजन करने की सलाह देते हैं ताकि इंसुलिन के लेवल को बैलेंस किया जा सके।
ICMR के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में 136 मिलियन लोग 15.3 % प्रीडायबिटिक हैं। इस अध्ययन के अनुसार 4 वर्षों में भारत में मधुमेह के 44 % मामले बढ़े हैं। जो कि 2019 में 70 मिलियन थे।
शोधशास्त्रियों को आशंका है कि आने वाले 5 वर्षों में आधे प्रीडायबिटिक रोगी टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हो जाएंगे। जहां एक ओर तेजी से बढ़ते मधुमेह के रोगी चिंता का विषय हैं, वहीं दूसरी ओर नेशनल नॉन कम्युनिकेबल डिसीज मॉनिटरिंग सर्वे की मानें तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मधुमेह का प्रसार तीव्र है। यदि यह स्थिति बनी तो भविष्य में महिला मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ेगी जो निश्चित तौर पर चिंताजनक है।