क्रान्ति नक्षत्र सावरकर
जन्म दिवस के अवसर पर सप्तदिवसीय शृंखला भाग एक
अनन्य
लंदन में शत्रु की भूमि पर पहुँचकर भारत की स्वतंत्रता के लिए वहाँ से क्रान्तिकारी गतिविधियां संचालित करने का साहस करने वाले विनायक दामोदर सावरकर 1906 में लंदन गए। उन्होंने भारत में रहते हुए ही अभिनव भारत की स्थापना करके स्वतंत्रता सेनानियों का संगठन स्थापित किया था। उनके साथ कई युवा जुड़ गए थे।
उन दिनों विश्व में क्रान्तिकारी गतिविधियों की जानकारी, साहित्य और संचार का प्रमुख केंद्र लंदन था। रूस, मिस्र, चीन, आयरलैंड के क्रांतिकारी लंदन में आया ज़ाया करते थे।सावरकर का मानना था कि वे लंदन जाकर भारत की सशस्त्र क्रांति को तेज़ धार दे सकते हैं। इसलिए उन्होंने लंदन जाने का निर्णय किया।
S S Persia नामक जहाज में हरनाम सिंह के साथ अपनी यात्रा प्रारंभ की। जहाज मैं बैठने के साथ ही उनके दिमाग में भावी योजनाएं बनना स्वभाविक ही था। एक रात जहाज के डेक पर चिंतन मुद्रा में देख हरनाम ने उनसे पूछा कि क्या वे जल्द से जल्द भारत लौटना चाहते हैं? इस पर सावरकर ने उत्तर दिया कि हमारी भारत माँ हमें प्यारी है, लेकिन हमारा प्राथमिक कर्तव्य और कर्म मॉं भारती की स्वतंत्रता है।
लंदन में पं.श्याम जी कृष्ण वर्मा भारतीय छात्रों के लिए इंडिया हाउस छात्रावास चलाते थे। वहाँ निवास करते हुए सावरकर ने “फ्री इंडिया सोसाइटी” प्रारंभ की, जिसकी साप्ताहिक बैठकों में सभी विषयों पर खुलकर तर्क वितर्क की उनकी शैली भारतीय युवाओं को इन बैठकों में आने के लिए प्रेरित करती थी। उन्होंने महपुरुषों की जयंती मनाना शुरू किया व हिन्दू उत्सवों के आयोजन भी देखने योग्य हुआ करते थे।
सावरकर का विचार था कि शांतिपूर्ण “विकास” हो सकता है लेकिन “क्रांति” होना अतार्किक है। वे अन्य क्रांतिकारियों को खोजते हुए नियमित रूप से लंदन से रूस की यात्रा करते थे जो बम बनाना सिखा सकते थे। पुलिस रिपोर्ट बताती हैं कि सावरकर स्वयं बम बनाने के प्रयोग करते थे और इंडिया हाउस और पेरिस में भारतीय युवाओं को इसकी विधि पढ़ाते थे।
वे बम व इसके बनाने की विधि नियमित रूप से व सुरक्षित तौर पर भारत भेजा करते थे। भारत से जल्द ही यह समाचार आया कि बंगाल में मिस्टर किंग्सफोर्ड की गाड़ी में बम फेंके गए हैं और भारत में यह किसकी योजना हो सकती है, इसको अधिकांश लोग बहुत अच्छे से समझते थे और कुछ आज भी समझना नहीं चाहते हैं।
कई प्रतिभाशाली व धनवान युवा जो स्वयं और परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लंदन आए थे, वे भी विनायक के प्रखर भारत भक्ति के विचारों एवं आचरण से प्रभावित होकर क्रांतिकारी संगठन में सम्मिलित हो गए। लंदन में इन गतिविधियों में बहुत से युवा जुड़े लेकिन ऐसे कई पत्र मिलते हैं, जिनमें मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल को ऐसी किसी भी गतिविधि में सम्मिलित होने से स्पष्ट मना करते हैं। भले ही जवाहरलाल नेहरू अभिनव भारत की गतिविधियों में कुछ रुचि विकसित करना चाहते थे।
क्रमश:
Great people have great ideas ?, due to their dedicated work only, today we have a liberal India.
Jai Hind….??
वीर सावरकर जी की जयंती पर सभी भारतवासी भारत माता को अखंड बनाने का संकल्प ले अखंड भारत अमर रहे !!!! Veer Savarkar Amar rahe!!!!
वीर सावरकर जी की जयंती पर सभी भारत वासी भारत माता को अखंड बनाने का संकल्प ले अखंड भारत अमर रहे !!!!