गिलगित बालटिस्तान पर अंतिम निर्णय लेने का समय

भारत द्वारा पाकिस्तान के कृत्य पर कठोर प्रतिक्रिया देना भारत के आतंकवाद विरोधी एवं मानवाधिकार संरक्षण के प्रति सुदृढ़ संकल्पों का परिचायक है। अब अपरिहार्यता है कि परिस्थितियों का अन्वेषण करते हुए भारत पाक अधिकृत अपनी भूमि का अधिग्रहण पुनः कर भारतीय जनमानस के आत्मविश्वास में वृद्धि करे।

प्रीति शर्मा

हाल ही में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित बालटिस्तान सरकारी आदेश 2018 में संशोधन कर क्षेत्र में चुनाव करवाने की मंजूरी दी है, जिसका भारत ने मुखर उत्तर देकर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिए भारतीय प्रयासों को तीव्र किया जाएगा और पाकिस्तान को इस क्षेत्र को शीघ्र अति शीघ्र खाली करना ही होगा। दक्षिण एशिया के इन दोनों देशों के पारस्परिक संबंध वर्षों से कटुता पूर्ण रहे हैं, जिन्हें भारत के शांति एवं सह अस्तित्व पूर्ण प्रयासों द्वारा कई बार सरल करने का प्रयास किया गया।  किंतु विडंबना ही है कि भारत के साथ सीमा एवं सांस्कृतिक संबंध रहने के बावजूद पाकिस्तान भारत के संदर्भ में सदैव कुटिल एवं कटुता पूर्ण नीति का ही प्रदर्शन करता रहा है। इसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों का उपहास ही समझा जा सकता है कि पाकिस्तान भारत की अवैधानिक रूप से अधिकृत भूमि का दुरुपयोग निजी हितों की पूर्ति के लिए निरंतर करता आया है और उत्तरोत्तर इसी दिशा में अपने प्रयासों को तीव्र करने के लिए न्यायालय के अनाधिकृत निर्णय का सहारा ले रहा है।

गिलगित बालटिस्तान सदा से भारत के जम्मू कश्मीर राज्य का तथा अब केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का अभिन्न अंग है जिसका कोई भी देश अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए दुरुपयोग नहीं कर सकता। पाकिस्तान का व्यवहार उसकी कुंठित मानसिकता और असुरक्षा की भावना का प्रतीक है। पाकिस्तान चीन से लिए गए ऋणों के दबाव के चलते चीन – पाकिस्तान आर्थिक परियोजना के लिए पहले ही गिलगित बालटिस्तान के एक हिस्से को चीन को अनधिकृत रूप से सौंप चुका है जो भारत के लिए अस्वीकार्य था। इस पर गिलगित बालटिस्तान में चुनाव करवाने की अनुमति देकर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में कड़वाहट का प्रसार ही किया है।

पूर्व काल में भारत मानवाधिकार एवं शांति स्थापना के लिए वैश्विक दबाव तथा स्वयं की विदेश नीति के सर्व समावेशी सिद्धांत के चलते भारत-पाकिस्तान संबंधों में निरंतर सहयोगात्मक भूमिका का निर्वहन करता रहा है। किंतु वर्तमान भू- राजनीतिक संरचना में एशिया में भारत की गरिमामय छवि निरंतर उभर रही है जिसका प्रभाव वैश्विक राजनीति पर भी पड़ा है और समस्त विश्व ने भारत की विदेश नीति की सहयोगात्मक एवं चुनौतियों का सकारात्मक रूप से समाधान निकालने की कुशलता का महत्व स्वीकार किया है।

आज संपूर्ण विश्व में अधिकांश राष्ट्र भारत के आतंकवाद विरोधी स्वर में स्वर मिलाते हुए भारतीय विदेश नीति का समर्थन करते हैं। भारत की यही शक्ति अन्य देशों को भारत की विश्वसनीयता के प्रति आकर्षित करती है। अतः भारत को अब किसी वैश्विक दबाव के अधीन अपने निर्णय से विचलित होने की आवश्यकता नहीं है और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों की कुटिलता एवं धृष्टता का प्रत्युत्तर अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुखरता के साथ देते हुए पाकिस्तान की अवैधानिक गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है। भारत द्वारा पाकिस्तान के कृत्य पर कठोर प्रतिक्रिया देना भारत के आतंकवाद विरोधी एवं मानवाधिकार संरक्षण के प्रति सुदृढ़ संकल्पों का परिचायक है। अब अपरिहार्यता है कि परिस्थितियों का अन्वेषण करते हुए भारत पाक अधिकृत अपनी भूमि का अधिग्रहण पुनः कर भारतीय जनमानस के आत्मविश्वास में वृद्धि करे।

(यह लेखक के निजी विचार हैं)

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3 thoughts on “गिलगित बालटिस्तान पर अंतिम निर्णय लेने का समय

  1. भारतीय मौसम विभाग द्वारा उत्तर पश्चिमी भारत के मौसम संबंधी दैनिक पूर्वानुमान मे पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से काबिज गिलगित baltistan और muzzafarabad क्षेत्र को सम्मिलित करना भी पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश है कि ये भारत के अभिन्न हिस्से हैं l

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