समीक्षा – वेब सीरीज पंचायत

अमेज़न प्राइम पर 3 अप्रैल, 2020 को रिलीज हुई वेब सीरीज ‘पंचायत’ उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव फुलेरा’ की कहानी है। बड़ी नौकरी के सपने देखता युवक अभिषेक त्रिपाठी बेरोजगारी के इस युग में शहर से गांव आकर पंचायत सचिव की छोटी सी नौकरी स्वीकार तो कर लेता है, परंतु उसका मन अपने मित्रों की चकाचौंध से भरी जिंदगी को देख व्यथित रहता है। गांव के लोगों का सहज और स्पष्ट व्यवहार इस शहरी युवक को असहज कर देता है। कहानी में नौकरी करते हुए आगे की पढ़ाई के लिए उसका संघर्ष भी दिखाई देता है। गांव वालों की उसकी जिंदगी में दखल देने की आदत उसे परेशान कर देती है, परंतु एक दिन वह भी ना चाहते हुए गांव वालों की जिंदगी का हिस्सा बन जाता है। एक दूसरे के लिए मर मिटने की गांव वालों की आदत एक दिन उसे भी ऐसा ही बना देती है।

फिल्म में शादियों में वर पक्ष की मनमानी को भी बड़े हल्के-फुल्के अंदाज में स्पष्ट किया गया है। गांव की महिला प्रधान मंजू देवी के स्थान पर उनके पति ब्रज भूषण दुबे प्रधान पति के सिंहासन पर विराजमान हैं और गांव की हर छोटी बड़ी समस्या को जी जान से हल करते हैं। परंतु ना तो मंजू देवी को, ना ही गांव वालों को इस पर कोई आपत्ति है। एक दिन अभिषेक अनायास ही मंजू देवी को उनके पद एवं दायित्व का अहसास कराता है। इस तरह यह कहानी अपने अस्तित्व की लड़ाई की कहानी बन जाती है।

नीना गुप्ता, रघुवीर यादव, जितेंद्र कुमार, फैसल मलिक और चंदन रॉय के अभिनय से सजी इस सीरीज में हर पात्र कहानी का नायक प्रतीत होता है और यही इस कहानी की सबसे सुंदर बात है। सीरीज का अंत एक नई सुबह का संकेत करता है।

प्रियंका गर्ग

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