सिलौती गांव ने प्रस्तुत किया सनातन परंपरा का अनूठा उदाहरण
रिपोर्टः सन्तोष तिवाड़ी
करौली जिले के सिलौती गांव में ग्रामीणों ने लॉकडाउन में वापस अपने गांव पहुंचे एक परिवार की आजीविका और भोजन की जिम्मेदार सामूहिक रूप से उठाने का निर्णय कर भारतीय सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है।
भारतीय सनातन परंपरा और समाजवाद का सजीव उदाहरण प्रदेश के करौली जिले के सिलौती गांव में देखा जा सकता है, जहां लॉक डाउन से उपजे पलायन के बाद अहमदाबाद से आए एक विवश परिवार की रोजी रोटी की जिम्मेदारी ग्रामीणों ने अपने कंधों पर ले ली है।
कोरोना संकट और लॉक डाउन के काल में यह जीता-जागता उदाहरण है करौली जिले के सिलौती गांव का। गांव से पंद्रह साल पहले रोजगार की तलाश में अहमदाबाद चले गए गांव के भगवान सहाय माली के परिवार पर दो तरह का संकट खड़ा हो गया। पहले परिवार के मुखिया भगवान सहाय की मौत उसके बाद कोराना संकट और लॉक डाउन ने परिवार को बुरी तरह तोड़ दिया। परिवार के सामने अब एक ही रास्ता था। अपनी जड़ों की छांव में लौटा जाए। ग्रामीणों ने “पूरा गांव एक परिवार है’ का अनुसरण करते हुए भारत की सनातन परंपरा का सजीव उदाहरण प्रस्तुत किया है।
अहमदाबाद से करौली जिले के सिलौती ग्राम में अपने जवान बेटे और बेटी को लेकर पहुंची मां रूमाली देवी को ग्रामीणों ने न केवल आश्रय दिया बल्कि वे पिछले करीब 15 दिनों से उनके भोजन और आवास का ध्यान रख रहे हैं। लॉकडाउन के इस दौर में किसी को कोई परेशानी नहीं हो और कोई भूखा न रहे, इसके लिए सिलौती में ग्राम पंचायत स्तर पर एक कोर कमेटी का गठन किया गया था। कोर कमेटी के माध्यम से जैसे ही इस भूमिहीन और बेघर परिवार के गांव में आने की जानकारी करौली विकास अधिकारी सुश्री नीरज शर्मा को हुई तो उन्होने पीड़ित परिवार को स्कूल में रखने के निर्देश देने के साथ उनके रहने और खाने की स्थायी व्यवस्था के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया।
जिसके बाद ग्रामीण भी अपनी परंपराओं का निर्वहन करते हुए मजबूर परिवार की जिम्मेदारी उठाने को खुशी खुशी तैयार हो गए। विकास अधिकारी ने परिवार को सरकार की ओर से पेंशन, रोजगार आदि दिलाने का भी भरोसा दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि वे इस परिवार की मदद के माध्यम से अपनी सनातन परंपरा का ही निर्वहन कर रहे हैं। साथ ही लोगों को यह संदेश देना चाहते है कि ऐसी घड़ी में मजबूर परिवारों की रोजी और रोटी की व्यवस्था के लिए समाज को आगे आना चाहिए। सरकार को भी ऐसे परिवारों का सर्वे करने की जरूरत है जो इस संकट काल में लौटकर अपने गांव तो लौट आए हैं, लेकिन जिनका अपने मूल गांव में वर्तमान में कुछ भी शेष नहीं रहा। ऐसे लोगों का सर्वे कर उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की आवश्कता है।