ज्ञानोत्सव 2079 : शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना

ज्ञानोत्सव 2079 : शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना

ज्ञानोत्सव 2079 : शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पनाज्ञानोत्सव 2079 : शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना

नई दिल्ली। वर्ष 2004 में भारत के शिक्षा जगत के पाठ्यक्रमों में व्याप्त विकृतियों के विरुद्ध “शिक्षा बचाओ आंदोलन” प्रारम्भ किया गया था। इस आंदोलन के माध्यम से देश में विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रमों में व्याप्त विकृतियों को दूर करने में अद्वितीय सफलता प्राप्त हुई है। इस संघर्ष को संस्थागत स्वरूप प्रदान कर 24 मई, 2007 को ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ का गठन किया गया। गठन के समय से ही न्यास ने व्यापक लक्ष्य तय किया – “देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देना”।

न्यास मूल्य आधारित शिक्षा, मातृभाषा में शिक्षा, शिक्षा की स्वायत्तता और भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देकर भारत की शिक्षा में आधारभूत बदलाव लाने हेतु प्रयासरत है। न्यास भारतीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन तथा जनता को जनता की भाषा में न्याय मिले, इस हेतु प्रयासरत है, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

ज्ञानोत्सव – 2079 : 17-19 नवंबर, 2022

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास प्रासंगिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श एवं समाधान प्रदान करने के लिए विद्यालय, उच्च एवं व्यवसायिक शिक्षा के छात्रों, शिक्षकों एवं देश के शिक्षाविदों के लिए ज्ञानोत्सव का आयोजन करता रहा है।

34 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत केन्द्रित, नवोन्मेषी, लोकतांत्रिक एवं विद्यार्थी केंद्रित राष्ट्रीय शिक्षा नीति जारी की गयी है। इस नीति के निर्माण के बाद भी नीति पर व्यापक विमर्श की आवश्यकता है, जिससे शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोग इस नीति को भली भांति समझ सकें ताकि इसके समुचित क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त हो सके। इन उद्देश्यों को दृष्टिगत करते हुए तीसरा ज्ञानोत्सव 2079 17-19 नवंबर, 2022 शिक्षा से आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना पर प्रस्तावित है। शिक्षा से छात्र, शिक्षण संस्थान एवं देश आत्मनिर्भर बने इस विषय पर ज्ञानोत्सव 2079 में विशेष चिंतन होगा। इसमें प्रमुख रूप से – तीन विषय होंगे….

अ). शिक्षा में कौशल विकास, स्टार्ट-अप और अनुसंधान,

ब). राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का क्रियान्वयन

स). आत्मनिर्भर भारत में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका

विमर्श इस बात पर केंद्रित होगा कि शैक्षणिक संस्थान, सामुदायिक जुड़ाव, शिक्षा और अनुसंधान में स्टार्ट-अप व विकास से देश को आत्मनिर्भर बनाने में किस प्रकार योगदान दे सकते हैं। इस आयोजन में देश भर के लगभग 800-1000 कुलपतियों, निदेशकों, वरिष्ठ शिक्षाविदों, शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों को आमंत्रित किया जाएगा।

प्रथम ज्ञानोत्सव – 2075

प्रथम ज्ञानोत्सव 6-8 अप्रैल, 2018 को “चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व के समग्र विकास” एवं “जनता को जनता की भाषा में न्याय” विषय पर सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था। जिसमें डॉ. मोहन भागवत के सानिध्य में देश के अग्रणी शैक्षिक संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षाविदों एवं वर्तमान व पूर्व न्यायमूर्तियों ने भाग लिया और विविध विषयों पर विचार – मंथन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, तत्कालीन संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा, अनिरुद्ध देशपांडे, रामकृष्ण मठ के स्वामी शांतात्मानंद जैसे विभिन्न शिक्षाविदों व गणमान्य विद्वानों ने अपने विचार साझा किए थे।

द्वितीय ज्ञानोत्सव – 2076

द्वितीय ज्ञानोत्सव 17-18 अगस्त, 2019 को शिक्षा में भारतीयता” एवं “देश की विभिन्न प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं में समग्र सुधार” के विषय पर आयोजित किया गया था। इस ज्ञानोत्सव में लगभग 500 विख्यात शिक्षाविदों ने भाग लिया, जिसमें तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल, स्वामी अमृत स्वरूप, आचार्य बालकृष्ण तथा विभिन्न नियामक संस्थाओं के अध्यक्ष, कुलपतियों, निदेशकों, वर्तमान एवं पूर्व पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने विचार साझा किये थे। इन विषयों पर डॉ. मोहन भागवत ने विद्वानों का मार्गदर्शन किया। इस विमर्श के परिणाम स्वरूप विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं में समग्र सुधार हेतु विस्तृत प्रतिवेदन तैयार किया गया, जो क्रियान्वयन की प्रक्रिया में है।

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