मतांतरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं : बाबा मेजर सिंह

मतांतरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं : बाबा मेजर सिंह

मतांतरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं : बाबा मेजर सिंहमतांतरण किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं : बाबा मेजर सिंह

  • शहीदी दिहाड़ा व महासंगम कार्यक्रम सम्पन्न
  • महासंगम कार्यक्रम में वक्ताओं ने मजहबी सिख समाज के लोगों को दिया धर्म के प्रति जागरूकता का संदेश
  • कार्यक्रम में दशमेश तरना दल के प्रमुख प्रचारक ज्ञानी मनदीप सिंह विद्यार्थी व सूफी गायक हंसराज हंस ने किया सम्बोधित

श्रीगंगानगर। खालसा फौज श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के द्वारा तैयार की गई है। उनकी माता गूजरी कौर, चारों साहिबजादों व सिख धर्म के नवम गुरु श्री तेग बहादुर साहिब धर्म के लिए बलिदान हो गए। उनका शीश तीन सौ किलोमीटर दूर श्री गुरु गोविन्द सिंह जी तक लाने वाले और धर्म की रक्षा हेतु सपरिवार सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले भाई जैता जी उर्फ रंगरेटे गुरु के बेटे अमर बलिदानी बाबा जीवन सिंह सहित 40 सिखों ने मतांतरण रोकने के लिए बलिदान दिया था। इसलिए मतांतरण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वो राजस्थान में हो या देश के किसी भी राज्य में। जहां जहां मतांतरण की बात होगी, वहां वहां इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जाएगा। ये बातें दशमेश तरना दल पंजाब के मुखी बाबा मेजर सिंह सोढ़ी ने सुखाड़िया सर्किल रामलीला मैदान में आयोजित महासंगम कार्यक्रम में कहीं। अमर बलिदानी बाबा जीवन सिंह के इतिहास तथा उनके बलिदान को लोगों के समक्ष लाने के उद्देश्य से सुखाड़िया सर्किल रामलीला मैदान में शिरोमणि जरनैल अमर बलिदानी बाबा जीवन सिंह सेवा समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शहीदी दिहाड़ा एवं महासंगम कार्यक्रम का बुधवार को समापन हुआ।

पंजाब से गुरबचनसिंह जी मोखा (धर्मजागरण सह संयोजक, पंजाब) भी पधारे। उन्होंने कहा कि समाज में समरसता बनी रहे, भाईचारा बना रहे तथा राष्ट्र की एकता व अखंडता अक्षुण्ण रहे, इसके लिए सभी को लगना है।

कार्यक्रम संयोजक हरप्रीत सिंह ने बताया कि इस अवसर पर प्रातः श्री अखंड पाठ साहिब के भोग उपरांत कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दशमेश तरना दल के प्रमुख प्रचारक ज्ञानी मनदीप सिंह विद्यार्थी ने उपस्थित संगत को सम्बोधित करते हुए कहा कि मजहबी सिख शब्द दसवें पातशाह साहिब श्री गुरु गोविन्द सिंह जी का दिया शब्द है अर्थात जो व्यक्ति अपने धर्म के प्रति परिपक्व है, वही मजहबी है। मजहबी कौम को यह नाम अपने धर्म के प्रति परिपक्व होने के कारण मिला है। लेकिन साक्षरता के अभाव और नशे के कारण मजहबी सिख समाज आज दूसरे समाजों की अपेक्षा पिछड़ रहा है। दूसरे मजहबों के लोग इन भोलेभाले लोगों को समय समय पर गुमराह करके तथा लालच देकर अपने मजहब में शामिल करने को प्रेरित कर रहे हैं। इस बात पर व्यथा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जहां-जहां मतांतरण की बात सामने आएगी, वहां-वहां महासंगम जैसे कार्यक्रम आयोजित कर समाज के लोगों को जागृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मजहबी सिख कौम समाज की धरोहर है। आज इस धरोहर को बनाए रखने की आवश्यकता है। बाबा जीवन सिंह जी के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि बाबा जीवन सिंह के बिना सिख धर्म अधूरा है। उन्होंने और उनके परिवार ने यदि ये बलिदान न दिए होते तो आज सिख और हिंदू धर्म का कोई अस्तित्व नहीं होता।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सूफी गायक हंसराज हंस किसी कारणवश कार्यक्रम में नहीं पंहुच पाए, अतः उन्होंने ऑनलाइन सम्बोधित करते हुए बाबा जीवन सिंह जी के इतिहास से संगत को साक्षात्कार कराया। उनके संदेश को पण्डाल में लगाई गई बड़ी स्क्रीन पर दिखाया गया। इस दौरान गुरु का अटूट लंगर बरताया गया।

इस अवसर पर राजस्थान मजहबी युवा मोर्चा के संरक्षक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल भजन सिंह घारू, जिला अध्यक्ष लखबीर सिंह लक्खा, अखिल राजस्थान मजहबी सिख महासभा के प्रदेशाध्यक्ष जसविन्दर सिंह धालीवाल, जिलाध्यक्ष सुखचैन सिंह धारीवाल, मीडिया प्रभारी रणजीत सिंह सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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