ध्यान उपासना के लिए “संध्यालय” बनाये जाएं- डॉ. राम चन्द्र

ध्यान उपासना के लिए "संध्यालय" बनाये जाएं- डॉ. राम चन्द्र

ध्यान उपासना के लिए "संध्यालय" बनाये जाएं- डॉ. राम चन्द्र ध्यान उपासना के लिए “संध्यालय” बनाये जाएं- डॉ. राम चन्द्र, संध्या रहस्य विषय पर गोष्ठी सम्पन्न

गाजियाबाद, 26 अगस्त 2022। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “संध्या रहस्य” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह 434वां वेबिनार था।

मुख्य वक्ता डॉ. रामचन्द्र (विभागाध्यक्ष संस्कृत, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) ने कहा कि देश भर में ध्यान उपासना के लिए “संध्यालय” खुलने चाहिए क्योंकि यदि व्यक्ति ईश्वर विश्वासी होगा तो शांत चित्त होगा और परिवार व राष्ट्र के प्रति भी जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि संध्या वन्दन ऋषियों की विश्व को सर्वोच्च देन है। गायत्री मन्त्र के जाप और प्राणायाम की दीर्घकाल तक की सतत साधना से सभी शारीरिक और मानसिक पाप पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं।ब्रह्म मुहूर्त में जागरण करके पूर्वाभिमुख बैठकर पवित्र मन से शुद्ध आसन पर नियमित संध्या उपासना का अभ्यास नर को नारायण बना देता है। महर्षि दयानन्द सरस्वती की पंच महायज्ञ विधि के आधार पर संध्या के स्वरूप एवं मन्त्रों में निहित आध्यात्मिक अर्थों को स्पष्ट करते हुए इन्द्रिय स्पर्श, मार्जन मन्त्र, प्राणायाम मंत्र, अघमर्षण मन्त्र, मनसा परिक्रमा और उपस्थान मन्त्र की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा में सृष्टि के आरम्भ से ही नियमित संध्या वन्दन का विधान है। जो व्यक्ति प्रात: एवं सायं संध्या नहीं करता, वह सच्चे अर्थों में मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं होता। वर्तमान समाज में परस्पर अविश्वास और कष्ट इसलिए बढ रहे हैं क्योंकि समाज से नेत्र बंद करके, ध्यान मुद्रा में ईश्वर आराधना की परम्परा समाप्त हो गई है।डॉ. रामचन्द्र ने जोर देकर कहा कि समाज के कोने कोने में संध्यालय बनने चाहिए, जहां सामूहिक संध्या वन्दन की व्यवस्था हो। विज्ञान की कितनी भी उन्नति हो पर सच्चे मानव और श्रेष्ठ नागरिक के निर्माण के लिए संध्या का कोई विकल्प नहीं है। बचपन से ही संध्या का अनिवार्य प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि ईश्वर विश्वासी को पहाड़ जैसा दुःख भी छोटा लगता है। वह दुख व परेशानियों से घबरा कर कभी आत्महत्या नहीं करता।

मुख्य अतिथि सतीश नागपाल व अध्यक्ष पूजा सलूजा ने भी संध्या के महत्व पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि परमात्मा की कृपा का संध्या के माध्यम से धन्यवाद ज्ञापन करते रहना चाहिए।

गायिका प्रवीना ठक्कर, कमला हंस, कौशल्या अरोरा, विजय खुल्लर, पिंकी आर्या आदि के मधुर भजन हुए।

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