पंचांग 14 अगस्त 2020
पंचांग 14 अगस्त 2020
आज का विचार
अग्निशेषमृणशेषं शत्रुशेषं तथैव च।
पुन: पुन: प्रवर्धेत तस्माच्शेषं न कारयेत्॥
भावार्थ
यदि आग, ऋण या शत्रु अल्प मात्रा अथवा न्यूनतम सीमा तक भी अस्तित्व में बचे रहेंगे तो बार बार बढ़ेंगे ; अत: इन्हें थोड़ा सा भी बचा नहीं रहने देना चाहिए। इन तीनों को सम्पूर्ण रूप से समाप्त ही कर डालना चाहिए।
।।आप सभी का दिन मंगलमय हो।।
आज का विचार बहुत अच्छा व प्रेरणादायक है