भारतीय जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है न कि पुरुष या स्त्री प्रधान – भाग्यश्री साठे

भारतीय जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है न कि पुरुष या स्त्री प्रधान - भाग्यश्री साठे

भारतीय जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है न कि पुरुष या स्त्री प्रधान - भाग्यश्री साठेभारतीय जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है न कि पुरुष या स्त्री प्रधान – भाग्यश्री साठे

भारतीय चिंतन में माना गया है कि एक चैतन्य तत्व है। उसका दो में विभाजन हुआ। स्त्री पुरुष बने। दोनों में भले ही शारीरिक विभेद हैं, लेकिन आत्मा के स्तर पर वे समान हैं। स्त्री शक्तिस्वरूपा है क्योंकि उसमें सृजन की क्षमता है। हमारी जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है न कि पुरुष या स्त्री प्रधान। ये उद्गार आज मानसरोवर स्थित दीप सभागार में आयोजित महिलाओं के महासम्मेलन संवर्धिनी में महिला समन्वय की अखिल भारतीय सह संयोजिका भाग्यश्री साठे ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में बहुत समय तक यह बहस चली कि स्त्री में आत्मा है या नहीं। इस भेदभाव के चलते स्त्री आंदोलन हुए, जिनमें बराबरी की मांग की गई। इस्लामिक आक्रमणों के दौरान भारतीय समाज में भी कई विकृतियां आईं। सती प्रथा, बाल विवाह, रात में विवाह, पर्दा प्रथा , कन्या भ्रूण हत्या आदि इसी के परिणाम हैं। लेकिन अब समय बदल चुका है। स्त्रियां हर क्षेत्र में बड़ी बड़ी भूमिकाएं निभा रही हैं। पिपलांगी गॉंव में कन्या जन्म पर उत्सव मनाया जाता है। हर कन्या जन्म पर 1100 पेड़ लगाए जाते हैं। चंद्रयान प्रक्षेपण में भी महिलाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई है। सुश्री साठे संवर्धिनी के प्रथम सत्र में मुख्यवक्ता के रूप में बोल रही थीं। इस सत्र की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी सुमित्रा शर्मा ने की। कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. मंजु शर्मा ने रखी।

दूसरे सत्र में अलग अलग समूहों में महिलाओं से सम्बंधित सामाजिक विषयों पर चर्चा हुई।

समापन सत्र में मुख्यवक्ता के रूप में बोलते हुए महिला समन्वय की राजस्थान क्षेत्र संयोजिका पुष्पा जांगिड़ ने कहा कि यह अमृतकाल में नए संकल्पों के साथ उदित होता भारत है। 2018 के एक सर्वे के अनुसार, ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में भारत की 78% महिलाओं के पास पैन कार्ड हैं। 90% महिलाओं के पास वोटर/ आधार कार्ड हैं। उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है। स्व का भाव जागृत हुआ है। वे शिक्षा से लेकर उद्योग तक हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। लेकिन उनमें यह बदलाव अभी तक स्वयं व परिवार तक सीमित है। उन्हें समाज व देश के लिए अपनी भूमिका तय करनी होगी। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. सुनीता गुप्ता ने की।

महासम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने समां बांधा। कलाकार कविता राय का शिव तांडव मंत्र मुग्ध करने वाला था। लोक नृत्य पधारो म्हारे देश राजस्थानी संस्कृति के भावों से ओत प्रोत था। मीराबाई और रानी हाड़ा पर प्रस्तुत नाटिका अत्यंत प्रेरक व भाव विह्वल करने वाली थी।

सम्मेलन का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ। इसमें 2000 से  अधिक महिलाओं ने भाग लिया। सेल्फी प्वाइंट्स सभी के आकर्षण का केंद्र बिंदु रहे।

महिलाओं का महासम्मेलन संवर्धिनी

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1 thought on “भारतीय जीवन दृष्टि कर्तव्य प्रधान है न कि पुरुष या स्त्री प्रधान – भाग्यश्री साठे

  1. The event will sucessful And very grateful
    All ladies from my side was very happy

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