डॉ. भागवत ने किया श्रीसमर्थ रामदास लिखित वाल्मीकि रामायण के संपादित खंडों का विमोचन

डॉ. भागवत ने किया श्रीसमर्थ रामदास लिखित वाल्मीकि रामायण के संपादित खंडों का विमोचन

डॉ. भागवत ने किया श्रीसमर्थ रामदास लिखित वाल्मीकि रामायण के संपादित खंडों का विमोचन   डॉ. भागवत ने किया श्रीसमर्थ रामदास लिखित वाल्मीकि रामायण के संपादित खंडों का विमोचन

पुणे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि समाज को दिशा दिखाने हेतु आदर्श राजा का एक रूप होना आवश्यक था। प्रभु श्रीराम के बाद श्री समर्थ रामदास ने आदर्श राजा के रूप में छत्रपति शिवाजी महाराज को सामने रखा।

श्री समर्थ वाग्देवता मंदिर, धुळे संस्था की ओर से श्री समर्थ रामदास स्वामी जी लिखित वाल्मीकि रामायण ग्रंथ के खंडों को सरसंघचालक ने राष्ट्रार्पित किया। प्रकाशित आठ खंडों में मूल हस्तलिखित के साथ मराठी और अंग्रेजी में उसका अनुवाद भी प्रस्तुत किया गया है।

इस अवसर पर मंच पर श्रुतिसागर आश्रम, फुलगांव के स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, श्रीरामदास स्वामी संस्थान, सज्जनगढ़ के बालासाहेब स्वामी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत संघचालक नानासाहेब जाधव, श्री समर्थ वाग्देवता मंदिर, धुळे संस्था के अध्यक्ष अनंत चितळे  उपस्थित थे।

सरसंघचालक ने कहा कि समर्थ रामदास के समय स्थिति आक्रमण की थी। युद्ध धर्म के संरक्षण का केवल एक अंग है, लेकिन केवल युद्ध धर्म का संरक्षण नहीं है। प्रतिकार, प्रबोधन, शोध और आचरण भी धर्म का संरक्षण है। यह सब श्रीराम ने किया। श्रीराम का आराध्य उस समय के लगभग सभी संतों ने समाज के सामने रखा। शाश्वत धर्म का पालन काल के अनुसार कैसे किया जाए, यह बताना भी पड़ता है और दिखाना भी पड़ता है। समाज को एकत्र करना, उसके लिए यात्रा करना और संवाद साधना इसकी कालानुरूप रचना समर्थ रामदास ने की।

उन्होंने कहा कि विश्व के सामने कुछ प्रश्न हैं। इन प्रश्नों के समाधान के लिए दो हजार वर्षों में प्रयोग कर हम थक गए हैं। अब विश्व को यह आशा है कि सारे उत्तर भारत देगा। विश्व को भारत से अपेक्षा है। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या भारतीय लोगों को इसका अहसास है? अब गुलामी नहीं है, लेकिन मानसिकता वही है। राष्ट्र जागृति का कार्य वर्तमान में देश में चल रहा है। वह राष्ट्रव्यापी बन चुका है, लेकिन भारत में बुद्धिजीवी क्षत्रियों की आवश्यकता है। हम सबको उसके लिए तैयार रहना होगा।

संस्था के पूर्व अध्यक्ष व प्रकल्प प्रमुख शरद कुबेर ने ग्रंथ के निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। प्रस्तावना प्रो. देवेंद्र डोंगरे ने रखी। संचालन प्रो. अरविंद जोशी ने तथा ईश स्तवन दीपा भंडारे ने किया।

डॉ. भागवत ने किया श्रीसमर्थ रामदास लिखित वाल्मीकि रामायण के संपादित खंडों का विमोचन

Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *