श्रमिकों के साथ न्याय कब, 11 सितम्बर आजीविका बचाओ दिवस के रूप में मनाया गया
भारतीय मजदूर संघ ने दिनांक 11 सितम्बर 2020 आजीविका बचाओ दिवस के रूप में मनाया। सभी इस तथ्य से अच्छी प्रकार अवगत हैं कि लॉकडाउन के दौरान लाखों श्रमिक अपने मूल स्थान पर चले गये और अपनी नौकरी तथा आजीविका खो बैठे हैं। राज्य सरकार की मशीनरी कल्याणकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में असफल है। लाखों श्रमिकों को उनके बैंक खाते में नकद हस्तांतरण या खाद्यान्न नही मिला है, उन्हें राशन कार्ड , चिकित्सा सुविधाएं नही मिल सकी, मनरेगा के लिए जॉब कार्ड नहीं मिल सके, प्रवासी श्रमिक या निर्माण श्रमिक के रूप में उनका पंजीकरण नही हो सका। केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेशों को इन श्रमिकों के लिए आवंटित धनराशि को दूसरे मदों में खर्च किया जा रहा है। ऐसे में श्रमिकों के साथ न्याय कब होगा? उनकी मुश्किलों को देखते हुए भारतीय मजदूर संघ श्रमिकों के लिए बनाई गई सभी कल्याण योजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन और उनकी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटेट के सामने एक प्रदर्शन कर रहा है।
भारतीय मजदूर संघ की मांग है कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को देय सुविधाओं का भुगतान तुरन्त किया जाये। इस हेतु बजट की कमी का रोना नहीं रोया जाये। प्रवासी मजदूरों की सूची सरकार के पोर्टल पर डाली जाये तथा उनके लिए एक स्वतंत्र बोर्ड का गठन किया जाये। सरकारी खर्च में वृद्धि कर सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाया जाये एवं जिन श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल पाता है उनको बेरोजगारी भत्ता दिया जाये। सड़क पर फुटकर व्यवसाय करनेवाले श्रमिकों को पुलिस व निगम प्रशासन द्वारा अनावश्यक परेशान नहीं किया जाये। जिन श्रमिकों को लॉकडाउन की अवधि की मजदूरी का भुगतान नहीं मिला है उन्हें मजदूरी का भुगतान करवाया जाये। संघ की मांगों को मानते हुए श्रमिकों के साथ न्याय किया जाए। भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री विकास तिवारी ने यह जानकारी दी।