पुराना सामर्थ्यवान भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है- राज्यपाल मंगू भाई पटेल

पुराना सामर्थ्यवान भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है- राज्यपाल मंगू भाई पटेल

पुराना सामर्थ्यवान भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है- राज्यपाल मंगू भाई पटेलपुराना सामर्थ्यवान भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है- राज्यपाल मंगू भाई पटेल

  • तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का समापन हुआ

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षा नीति अभिनव दृष्टि के साथ बनाई गई है। यह भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप है। इस नीति से शिक्षा संस्कृति के साथ राष्ट्रभक्त विद्यार्थी का निर्माण होगा। एक समय था जब विदेश में पढ़ना गौरव का विषय बन गया था। अब पुराना सामर्थ्यवान भारत देश गरिमा के साथ वापस आ रहा है। शिक्षा शक्ति और साधन है। नई शिक्षा नीति विश्व में भारत को पहचान दिलाएगी। ये उद्गार माधव सेवा न्यास में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का समापन करते हुए राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने व्यक्त किए।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली, मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग, भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर आधारित राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि आज मुझे बहुत खुशी हो रही है। ऐसा लग रहा है कि महाकाल के आंगन में बैठकर 3 दिन तक गोष्ठी में महत्वपूर्ण तपस्या हुई है। कई विचार उत्पन्न हुए होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और नीति को आगे ले जाने के लिए आपने जो परिश्रम किया है, उसके परिणाम आने वाले दिनों में दिखाई देंगे। एक समय था जब हमें शिक्षा बचाव के लिए आंदोलन करना पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति और कार्य परिषद के सदस्य विश्वविद्यालय के विकास को गति देने के लिए पदस्थ किए जाते हैं। उन्हें अपनी गरिमा में मर्यादा का आभास होना चाहिए। उन्हें अपने अहम से टकराव की स्थिति न निर्मित करते हुए विश्वविद्यालय के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहिए। अच्छे बोल केवल बोलने के लिए नहीं होने चाहिए, बल्कि उन्हें अपने आचरण से व्यक्त करना चाहिए। हम धार्मिक पुस्तकें पढ़ें और हमारा आचरण ठीक नहीं हो, यह कदापि उचित नहीं है। यदि हमें विश्व गुरु बनना है तो सभी का योगदान आवश्यक है।

न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में भारतीयता को आधार बनाया गया है। अब शिक्षा में व्यवहारिक परिवर्तन हो रहे हैं। कुलपति गण एक-दूसरे विश्वविद्यालय से समन्वय कर काम कर रहे हैं। शिक्षा परिवर्तन की गति से तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने भारतीय भाषा के गौरव को व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया की श्रेष्ठ भाषा भारतीय भाषा मानी गई है। जब तक देश का छात्र आत्मनिर्भर नहीं होगा, देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता।

मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमें अपने वास्तविक इतिहास को जानना आवश्यक है। अभी तक मुगलों के गौरव गान को ही पढ़ाया जाता रहा है। हमारे महापुरुषों के बलिदानों की गाथा हमें नहीं पढ़ाई गई। लेकिन अब समय बदल गया है। हम अपने प्राचीन गौरव को पुनर्स्थापित करने जा रहे हैं।

तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का विवरण हिंदी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कडेल ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने किया। आभार न्यास के क्षेत्रीय संयोजक ओम प्रकाश शर्मा झाबुआ ने व्यक्त किया।

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