सीमा पर्यटन का केंद्र बनेगा ऐतिहासिक तनोट माता मंदिर
सीमा पर्यटन का केंद्र बनेगा ऐतिहासिक तनोट माता मंदिर
जैसलमेर, 11 सितंबर। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान भारत-पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटे एवं जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर तनोट माता मंदिर परिसर में शनिवार को सीमा पर्यटन विकास कार्य का भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया। तनोट मन्दिर कॉम्पलेक्स परियोजना, सीमा पर्यटन विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा तनोट मन्दिर कॉम्पलेक्स परियोजना के लिए 17 करोड़ 67 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गयी है। इस परियोजना के अंतर्गत प्रतीक्षालय, रंगभूमि, इंटप्रेटेशन केंद्र, बच्चों के लिए कक्ष एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिय अन्य आवश्यक सुविधाओं को विकसित किया जाएगा।
पर्यटन मंत्रालय की इस परियोजना से तनोट एवं भारत-पाकिस्तान से लगे जैसलमेर के सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास होगा एवं सीमा क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। वर्ष 1965 से सीमा सुरक्षा बल इस मन्दिर की पूजा अर्चना एवं व्यवस्था का कार्यभार संभाल रहा है। सीमा सुरक्षा बल इस मन्दिर को एक ट्रस्ट के माध्यम से संचालित करता है एवं प्रतिदिन सुबह – शाम माता की आरती एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें हज़ारों की संख्या में देश के विभिन्न प्रांतों से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। 1971 के भारत- पाकिस्तान युद्ध के दौरान सीमा सुरक्षा बल के वीर जवानों की लोंगेवाला पोस्ट पर अहम एवं निर्णायक भूमिका रही है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष दिसम्बर के प्रथम सप्ताह में भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तनोट का दौरा कर वहां की पर्यटन संभावनाओं का जायजा लिया था। साथ ही सीमा चौकी पर रात्रि विश्राम कर जवानों का मनोबल बढ़ाया था।
तनोट माता मंदिर राजस्थान का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप स्थित है। यह मंदिर लगभग 1200 वर्ष पुराना है, इस मंदिर में सदैव से ही भक्तों की गहरी आस्था रही है, लेकिन 1965 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के समय यह मंदिर अपने चमत्कारों के कारण देश और विदेश में प्रसिद्ध हो गया है। उस युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा इस मंदिर पर सैकड़ों बम गिराए गए, लेकिन उनमें से एक भी बम नहीं फटा, उनमें से कई जिंदा बम आज भी मंदिर परिसर में बने संग्रहालय में भक्तों के दर्शन के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। भारतीय सेना की इस मंदिर में गहरी आस्था है। इस मंदिर का सम्पूर्ण प्रबंधन और देखरेख बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स द्वारा किया जाता है। मंदिर में पूजा अर्चना भी बीएसएफ के जवानों द्वारा ही की जाती है।
वर्ष 1971 में पुनः भारत और पाकिस्तान में युद्ध हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान ने फिर से जैसलमेर की ओर से हमला किया। इस बार पाकिस्तान ने तनोट माता मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित लोंगेवाला गांव पर हमला किया। पाकिस्तानी सेना ने रात में अचानक पूरी टैंक रेजिमेंट के साथ इस गांव पर हमला किया था। पाकिस्तान के मुकाबले में भारतीय सेना की केवल 120 जवानों की एक कंपनी तैनात थी। लेकिन तनोट माता के चमत्कार से 120 भारतीय जवानों की उस कंपनी ने पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट को धूल चटा दी थी और लोंगेवाला गांव को पाकिस्तानी सेना के टैंको का कब्रगाह बना दिया था। लोंगेवाला की जीत के बाद भारतीय सेना के द्वारा तनोट माता मंदिर परिसर में एक विजय स्तंभ का निर्माण करवाया गया, जहां हर वर्ष उत्सव मनाया जाता है। इस युद्ध के बाद भारतीय सेना की आस्था इस मंदिर में और अधिक बढ़ गयी, जिसके बाद इस मंदिर के देखरेख का जिम्मा बीएसएफ ने अपने हाथों में ले लिया। मंदिर के पुजारी मनीष शर्मा ने तनोट माता मंदिर के बारे में बताया कि किस प्रकार यह एक चमत्कारिक मंदिर है, जहां प्रतिवर्ष माता का आशीर्वाद पाने और मन्नत मांगने हजारों लोग आते हैं। माता के मंदिर के प्रति देश और विदेश के भक्तों की भी गहरी आस्था है। तनोट माता को रूमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में आने वाले भक्त मंदिर में रूमाल बांधते हैं और तनोट माता से मन्नत मांगते हैं।