दालों के आयात व खादों के मूल्यों पर कोई भ्रम न फैले इसके लिए सरकार स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करे- किसान संघ

दालों के आयात व खादों के मूल्यों पर कोई भ्रम न फैले इसके लिए सरकार स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करे- किसान संघ

दालों के आयात व खादों के मूल्यों पर कोई भ्रम न फैले इसके लिए सरकार स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करे- किसान संघ

नई दिल्ली, 20 मई। बुधवार को भारतीय किसान संघ द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें किसान संघ के महामंत्री बद्री नारायण ने कहा कि भारतीय किसान संघ देशभर में जहां जितनी शक्ति है, उसे ग्रामीण क्षेत्रों में आम जन का सहयोग करने, मनोबल बढ़ाने व जागृति निर्माण करने में लगा है। उन्होंने कहा कि किसान संघ का कार्यकर्ता सामान्य समय में भी घर के काम के साथ साथ किसानों के रचनात्मक, संगठनात्मक एवं आंदोलनात्मक कार्यों में सक्रिय रहता है, तो ऐसे संकट के समय में अपने आपको और अपने परिवार को सुरक्षित रखते हुए अपने गांव के लिए सक्रिय नहीं हो, ऐसा हो ही नही सकता। ग्रामीण क्षेत्रों में नेतृत्व की बड़ी भूमिका देखी जा सकती है, यदि 2-3 बंधु भी मिलकर किसी गांव में निकल पड़ते हैं, और वे भी जांचे-परखे हुए अर्थात समाजसेवी लोग, तो फिर गांव की सज्जन शक्ति सहयोग के लिए तत्पर देखी जा सकती है।

उन्होंने दालों के आयात, खादों के मूल्यों व किसान कार्ड पर ब्याज आदि के बारे में सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए निम्नलिखित मांगें रखीं। उन्होंने कहा कि –

1. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से शनिवार 15 मई 2021 को भारत सरकार के गजट में प्रकाशित अधिसूचना – की ओर ध्यानाकर्षित कराना चाहूंगा, जिसमें तूर, मूंग और उड़द के आयात पर लगे हुए प्रतिबंधों को हटाते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आयात की छूट दी गई है, उल्लेखनीय है कि ये सभी दलहन फसलें खरीफ में पैदा होने वाली हैं और खरीफ की फसल का बुवाई का समय सामने आ चुका है। ऐसे समय पर इस निर्णय का यह संदेश जाने वाला है कि इस बार खरीफ की फसल में देश के किसानों को तूर, मूंग और उड़द की फसलों की बुवाई नहीं करनी है क्योंकि आयातित दालों के कारण इनका पूरा मूल्य नहीं मिलेगा। सभी जिम्मेदार लोग दलहन व तिलहन में देश को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणाएं तो करते हैं, परन्तु समय आने पर उचित निर्णय लेते हुए दिखाई नहीं देते हैं। दलहन में हम लगभग आत्मनिर्भर हुए हैं। परन्तु वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा यह कदम दलहन किसानों को हतोत्साहित करने वाला सिद्व होगा। दालों का यह आयात आत्मनिर्भरता को समाप्त करेगा, जिसके लिए गत कुछ वर्षों के प्रयासों के बाद सफलता मिली है। वरना हम खाद्य तेलों की भांति ही दलहन के मामलों में भी एक कुचक्र में फंस जायेंगे। भारतीय किसान संघ का यह मानना है कि समस्या उत्पादन की नहीं है, वितरण एवं नीति निर्धारण की अधिक है। इसलिए भारतीय किसान संघ मांग करता है कि इस निर्णय पर केन्द्र सरकार पुर्नविचार करे और आयात खोलने के निर्णय को तुरन्त वापस ले।

2. IFFCO द्वारा वर्ष  2021-22 के लगते ही  DAP की दरें 1200 रुपये (प्रति 50 किलो) बैग से 1900 रु बैग की जा चुकी हैं। मई माह में नई दरों के साथ बिक्री शुरू हो चुकी है। इससे किसानों में भ्रांति पैदा हुई है, क्योंकि एक ओर तो उर्वरक मंत्रालय ने घोषणा की है कि ‘अभी ऐसे समय में निर्माता कम्पनियां बढ़ी दरों पर DAP नहीं बेच सकतीं’ दूसरी ओर बाजार में नई दरों पर ही DAP बिक रहा है, डीलर्स का कहना है कि जब हमें महंगा मिलता है तो हम कैसे कम पर बेचें। इसलिए सरकार स्पष्ट घोषणा करे और स्पष्ट निर्देश जारी करे कि खादों का बेचान पुरानी कीमत पर ही हो ताकि भ्रांति पैदा करके किसानों का शोषण न किया जा सके।

3. KCC कार्ड धारक किसानों को समय पर पुनर्भुगतान करने पर 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान की छूट दी जाती है। परन्तु विलंब से घोषणा करने पर बैंकों द्वारा पूरा ब्याज वसूल लिया जाता है, छूट बाद में आने पर किसान को यह राशि वापस नहीं मिलती, इसलिए केन्द्र सरकार अप्रैल 2020 से ही आरम्भ हुई इस असामान्य परिस्थिति के समापन तक की अवधि को पुनर्भुगतान हेतु आगे बढ़ाने की घोषणा करे, ताकि बैंकों एवं किसानों में भ्रम का निर्माण न हो।

4. KCC कार्ड धारक किसी किसान की कोरोना के कारण मृत्यु होने की दशा में उसे KCC ऋण से मुक्त करने के निर्देश भी शीघ्र जारी किये जाएं।

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