परोपकार हमारी संस्कृति – पराग अभ्यंकर

परोपकार हमारी संस्कृति - पराग अभ्यंकर

परोपकार हमारी संस्कृति - पराग अभ्यंकर

रतलाम। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख पराग अभ्यंकर ने “मातृछाया” के उद्घाटन अवसर पर कहा कि परम पिता परमेश्वर ने यदि हमें इस योग्य बनाया है कि हम सुखमय जीवन जी सकें तो ईश्वर हमें यह सद्बुद्धि भी प्रदान करता है कि हम जीवमात्र की पीड़ा को हरने में सहायता करें। हमारी संस्कृति में किसी की सहायता करने पर अहंकार का भाव नहीं आता, अपितु कृतज्ञता का भाव उत्पन्न होता है। उपकार नहीं, अपितु सम्मान के भाव के साथ परोपकार करना हमारी संस्कृति है। पश्चिम का दर्शन है कि ‘सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट’, लेकिन हमारा दर्शन है कि जो अक्षम है, उसे भी जीवन का अधिकार है और उसके इस अधिकार की सुरक्षा करने का उत्तरदायित्व सर्व समाज का है।

पराग अभ्यंकर सेवा भारती संस्था द्वारा संचालित निराश्रित बच्चों के सेवा प्रकल्प “मातृछाया” के उद्घाटन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर मातृछाया केंद्र का उद्घाटन किया। मातृछाया प्रकल्प का अवलोकन करने के पश्चात अतिथियों का स्वागत सेवा भारती समिति के सदस्य ममता दीदी, संगीता कमल जैन, अनुज छाजेड़, सुरेश वर्मा ने तिलक एवं श्रीफल द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि डॉक्टर आशा सराफ ने निराश्रित बच्चों के इस प्रकल्प की प्रशंसा करते हुए अपनी ओर से दो लाख आर्थिक सहायता प्रदान की।

उद्घाटन समारोह में सेवा भारती समिति के सचिव राजेश बाथम ने सेवा भारती द्वारा संचालित समस्त सेवा कार्यों एवं प्रकल्पों का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।समारोह के अंत में उपस्थित सज्जनों एवं मंचासीन अतिथियों एवं दानदाताओं के प्रति सेवा भारती समिति के अध्यक्ष राकेश मोदी ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सेवा भारती द्वारा संचालित जनजाति समाज के बालकों के छात्रावास के बच्चों ने मंगल गीत प्रस्तुत किए।

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