जम्मू कश्मीर पर संसद द्वारा लिए गए संकल्प का पुन: स्मरण
25 फरवरी 2022 को लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिसका प्रारंभ राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, अध्ययन केंद्र के प्रांतीय संयोजक उत्तराखंड बलदेव पाराशर द्वारा संयुक्त रूप से द्वीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में निधि बहुगुणा ने 22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद में लिए गए संकल्प को पुनः स्मरण कराते हुए जम्मू कश्मीर व लद्दाख क्षेत्र पर पाकिस्तान व चीन के अनाधिकृत कब्जे वाले क्षेत्र की वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यक्रम में आए विशेषज्ञ वक्ताओं में डॉ. सूरज पारचा ने जम्मू कश्मीर व लद्दाख क्षेत्र के सांस्कृतिक, सामरिक व आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला एवं धारा 370 व 35 A के समाप्त होने के उपरांत जम्मू कश्मीर में आए परिवर्तन से वहाँ की जनता के पुनः अधिकार संपन्न बनने के विषय पर प्रकाश डाला।
बलदेव पाराशर ने 22 फरवरी 1994 को भारतीय संसद द्वारा लिया गया रिजॉल्यूशन पढ़ कर सुनाया। तत्पश्चात सांसद को अध्ययन केंद्र की कार्यकारिणी द्वारा संकल्प स्मरण पत्र (Copy of Parliamentary Resolution dated 22 February 1994) की प्रतिलिपि सौंपी। उसके उपरांत सांसद ने अपने संबोधन में पूरे कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानते हुए पूरी दृढ़ता से इस विषय पर प्रदेश के अन्य सांसदों के साथ मिलकर संसद में पुनः इस विषय पर चर्चा कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने अध्ययन केंद्र से जम्मू कश्मीर व लद्दाख क्षेत्र की वास्तविक स्थिति से उनको समय समय पर अवगत कराने का आग्रह किया ताकि वह राज्यसभा में इन विषयों को अपेक्षित संशोधन के साथ प्रबलता से उठा सकें। कार्यक्रम में दून यूनिवर्सिटी के डॉ. एचसी पुरोहित ने युवाओं का एकेडेमिक राइटिंग व शोध कार्य करने के लिए आह्वान किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश उपमान्य द्वारा किया गया।