वीर सावरकर भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रणेता थे- उदय माहुरकर
सीकर 29 अक्टूबर। शेखावाटी साहित्य संगम के दूसरे दिन का शुभारंभ आशुतोष द्वारा बाँसुरी वादन के साथ हुआ। आज के प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि भारतीय गणराज्य के मुख्य सूचना आयुक्त उदय माहुरकर रहे। इस सत्र के चर्चा प्रवर्तक जी न्यूज राजस्थान के संपादक मनोज माथुर थे। सत्र में अपनी पुस्तक सामर्थ्यवान भारत के दृष्टा वीर सावरकर पर बोलते हुए उन्होंने सावरकर के राष्ट्र प्रथम विचार को दृढ़ता के साथ रखा। उन्होंने कहा कि सावरकर राष्ट्रप्रेम, स्वदेशी व स्वराज पर विशेष बल देते हुए अपने विचार प्रभावी रूप से रखते थे।
माहुरकर ने शंभाजी, राव शेखा, महाराणा प्रताप, वीर दुर्गादास के स्वदेशी एवं स्वराज के विषय की भी चर्चा इस सत्र में की। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में वीर सावरकर को जो स्थान मिलना चाहिए था वह गोडसे द्वारा गांधी हत्या का नाजायज लाभ वामपंथियों द्वारा उठाने के कारण प्राप्त नहीं हो सका। सावरकर पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 1937 में उन्हें कांग्रेस पार्टी में आने का न्योता दिया गया था। किंतु कांग्रेस द्वारा हिंदुओं के अधिकारों की कीमत पर मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा देने के कारण उन्होंने कांग्रेस में जाना स्वीकार नहीं किया और हिन्दू महासभा जैसी छोटी पार्टी से जुड़े। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर भारत की एकता अखंडता के प्रतीक हैं। कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण से देश पीछे हुआ है।
माहुरकर ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना सावरकर युग का प्रारम्भ है। उन्होंने वीर सावरकर को भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का भविष्य दृष्टा बताया। जिन्होंने वर्तमान समस्याओं की भविष्यवाणी काफी वर्ष पहले ही कर दी थी। उन्होंने विभिन्न देशों के मध्य अंतर्राष्ट्रीय संबंध एवं राष्ट्र की सैन्य शक्ति पर काफी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मजहब, जाति से ऊपर उठकर राष्ट्र गौरव और त्वरित न्याय व्यवस्था ही देश को महान बनाने का मूल आधार है। यदि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हम सावरकर के नेशन फर्स्ट के सिद्धांत को अपनाते हैं तो राष्ट्र में सांस्कृतिक पुनरुत्थान एवं गरीबी उन्मूलन को गति मिलेगी। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में अभिनेता आशीष शर्मा द्वारा हिंदुत्व चैप्टर-1 फ़िल्म पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने हिन्दू जीवन दर्शन और वर्तमान भारतीय सन्दर्भ में इसके महत्व को समझाया।
आगे जानकारी देते हुए शेखावाटी साहित्य संगम के संयोजक बाबूलाल मील ने कहा कि तीसरे सत्र में विजन 2047 पर विषय का प्रारंभ करते हुए उदय माहुरकर ने कहा कि 2047 तक भारत तकनीकी रूप से शक्तिशाली एवं पुनः विश्वगुरु बन सके, ऐसी तैयारी करनी होगी। इसके लिए हमें अपने अंदर की कमियों को दूर करना होगा। इसी सत्र में चर्चा में भाग लेते हुए सुबुही खान ने कहा कि भारत को विश्वगुरु एवं शक्तिशाली बनाने के लिए हमें अपने पुराने जीवन मूल्यों पर आना होगा, जिसमें धर्म प्रधान जीवन पद्धतियों पर जोर दिया जाता था। जिसमें धर्म का आशय धारण करने योग्य बातों से था। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए अभिनेता आशीष शर्मा ने कहा कि इसके लिए हमें अपनी शिक्षा पद्धति में परिवर्तन करते हुए चरित्र आधारित शिक्षा आने वाली पीढ़ी को देनी होगी। मनोज माथुर ने कहा कि नई शिक्षा पद्धति को लागू करने के लिए बहुत अधिक प्रयत्न करने होंगे, तब इसके लाभ मिलेंग्। सत्र में चर्चा प्रवर्तक संगीता प्रणवेंद्र थीं।
अगले सत्र ‘हिंदी फिल्में एवं हमारा समाज’ में आशीष शर्मा, काजल हिंदुस्तानी, सुबुही खान एवं इरा टांक ने भाग लिया। सत्र में चर्चा प्रवर्तक अभिमन्यु सिंह राठौड़ रहे। चर्चा में भाग लेते हुए वक्ताओं ने बताया कि भारतीय हिंदी फिल्मों में हिन्दू धर्म एवं परंपराओं को नीचा दिखाने या मजाक उड़ाने का प्रयास किया जाता है। फिल्मों में किये जाने वाले चित्रण के कारण युवा पीढ़ी के मस्तिष्क में भारतीय परम्पराओं के प्रति अवहेलना एवं लव जिहाद जैसे विचार पनपने लग जाते हैं।
आज आयोजित वाद विवाद प्रतियोगिता एवं पोस्टर प्रतियोगिता में 13 विद्यालय एवं महाविद्यालयों ने भाग लिया। वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर गुलाबी देवी स्कूल की जयश्री, द्वितीय स्थान पर सीकर विद्यापीठ स्कूल की आराध्या शर्मा एवं तृतीय स्थान पर राजकीय विधि महाविद्यालय की लक्ष्मी दाधीच रहीं। पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान जान्ह्वी शर्मा ने प्राप्त किया। द्वितीय स्थान पर संस्कार इंटरनेशनल स्कूल की कनक शर्मा व तृतीय स्थान पर सीकर विद्यापीठ स्कूल की खुशी चौधरी रहीं।