श्रीमदभगवद्गीता : विश्व का एक मात्र ग्रंथ, जिसकी जयंती मनाई जाती है
श्रीमदभगवद्गीता : विश्व का एक मात्र ग्रंथ, जिसकी जयंती मनाई जाती है
आज गीता जयंती है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। बताया जाता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के मुख से गीता के उपदेश निकले थे। पूरे विश्व में श्रीमदभगवद्गीता ही एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है।
हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रंथ श्रीमदभगवद्गीता भारत के महान महाकाव्य महाभारत का एक छोटा हिस्सा है। महाभारत प्राचीन भारत के इतिहास की एक गाथा है, जिसमें मानव जीवन के महत्वपूर्ण पक्षों का बहुत ही विस्तार के साथ वर्णन किया गया है। महाभारत लगभग 1 लाख 10 हजार श्लोकों के साथ विश्व के महाकाव्य ग्रंथों इलियड और ओडिसी संयुक्त से सात गुना और बाइबल से तीन गुना बड़ा है। वास्तव में, यह कई गाथाओं का एक पूरा पुस्तकालय है। महाकाव्य की छठी पुस्तक में पांडवों और कौरवों के बीच महान लड़ाई से ठीक पहले की घटना भगवद्गीता का कथानक है।
भगवद्गीता हिंदू धर्म की सबसे लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है, जो विश्व भर के लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। मूलतः संस्कृत भाषा में लिखी गई गीता में 700 श्लोक हैं। कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन के सारथी बने भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें मोह में फंसता देख उनके कर्म और कर्तव्य से अवगत कराया और जीवन की वास्तविकता से उनका सामना करवाया। उन्होंने अर्जुन की सभी शंकाओं को दूर किया। उनके बीच हुआ यह संवाद ही श्रीमद्भगवद्गीता है। जो आज भी लोगों को सही-गलत में अंतर समझने एवं जीवन को ठीक तरह से जीने का तरीका सिखाती है।
दुनिया की महान विभूतियों द्वारा प्रायः गीता का उल्लेख किया जाता है। इन महान हस्तियों का मानना है कि गीता के माध्यम से उन्हें अपने जीवन में मार्गदर्शन मिलता है। भगवद्गीता ने अनगिनत लोगों को प्रेरणा दी है और उनके जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी प्रेरणा का परिणाम है कि भगवद्गीता का 80 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।
सामान्यतया गीता को जीवन जीने मार्ग दिखाने की सीख देने वाले धार्मिक ग्रंथ के रूप में जाना जाता है। किन्तु वह अब केवल धार्मिक ग्रंथ के रूप में ही नहीं देखी जाती है, बल्कि कई मंचों पर दर्शनशास्त्र और उच्च प्रबंधन का हिस्सा बन गई है। भगवद्गीता की लोकप्रियता का परिणाम है कि वह भारत की सीमाओं से परे अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ चुकी है, वह विश्व के सभी प्रमुख देशों में लोकप्रिय है। भगवद्गीता ने दुनिया के कई महान और प्रसिद्ध लोगों को न केवल प्रभावित किया है बल्कि उनके जीवन को भी पूरी तरह से बदल दिया।
सापेक्षता का सिद्धांत प्रतिपादित करने वाले अल्बर्ट आइंसटीन गीता से बहुत प्रभावित थे। उनका कहना था कि “जब मैंने भगवद्गीता को पढ़ा, तो मुझे पता चला कि ईश्वर ने कैसे दुनिया को बनाया है और मुझे यह अनुभव हुआ कि प्रकृति ने हर वस्तु कितनी प्रचुरता में प्रदान की है।” हम इसकी कल्पना नहीं कर सकते कि भगवद्गीता ने मुझे कठिन परिश्रम करने के लिए कितना प्रेरित किया है। मैं आप सब से कहना चाहता हूं कि गीता अवश्य पढ़ें और आप स्वयं देखेंगे कि उसने आपके जीवन को कितना प्रभावित किया है।
अमेरिका के प्रसिद्ध कवि हेनरी डेविड थोरो भी भारतीय दर्शन और अध्यात्म से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “वाल्डेन” में भगवद्गीता का कई बार उल्लेख किया है। वह पुस्तक के पहले अध्याय में ही लिखते हैं, “पूरब के देशों के दर्शन की तुलना की जाए तो वह सबसे अधिक भगवद्गीता से प्रभावित हैं।”
अमेरिका के भौतिक वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर, जिन्हें परमाणु बम का जनक कहा जाता है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान में हिरोशिमा और नागासाकी पर किए गए परमाणु हमले में शामिल थे। उन्होंने परमाणु हमले के बाद भगवद्गीता का उल्लेख करते हुए कहा था कि उन्हें उस समय भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश याद आया। जब वह अर्जुन से कहते हैं कि “तुम केवल अपना कर्तव्य निभाओ। मैं अब मृत्यु हूं और दुनिया को समाप्त करने वाला बन गया हूं।”
अमेरिकी लेखक थॉमस मर्टन जो बाद में पादरी बन गए, भगवद्गीता के बारे में लिखते हैं, कि गीता का अर्थ होता है गीत, ठीक उसी तरह जिस तरह से बाइबिल में सोलोमन के गीत हैं, जिसे “गीतों का गीत” कहा जाता है। इसी तरह हिंदू धर्म के लिए भगवद्गीता, लोगों को जीवन का रहस्य समझाती है। वह लोगों को जीवन जीने का तरीका सिखाती है। लेकिन इन गुणों के अतिरिक्त भी गीता में बहुत कुछ है। वह लोगों को अपने दैनिक कर्त्तव्यों को पूरा करने में कर्म को महत्व देती है।
अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष मिशन में अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति और भगवद्गीता लेकर गई थीं। उस समय उनसे जब यह पूछा गया था कि वह अंतरिक्ष में गीता और भगवान गणेश की मूर्ति क्यों ले गई थीं? तो उनका उत्तर था कि “ये आध्यात्मिक चीजें हैं जो अपने आप को, जीवन को, आस-पास की दुनिया को प्रतिबिंबित करने और चीजों को दूसरे तरीके से देखने के लिए हैं। मुझे लगा कि ऐसे में समय में काफी उपयुक्त हैं।”
अमेरिकी कवि टी.एस.इलियट पर भी भारतीय दर्शन का गहरा प्रभाव था। उन्होंने अपनी कविता “द ड्राई साल्वेजेस” में भगवद्गीता में कृष्ण और अर्जुन के बीच हुए संवाद का उल्लेख किया है।
“आप इस भवसागर (दुनिया) में आए हैं और आपका शरीर उसके थपेड़ों को सहेगा, जो भी कुछ आपके जीवन में घटेगा वह निहित है। इसलिए कृष्ण युद्ध के मैदान में अर्जुन से कहते हैं कि युद्ध छोड़ कर जाओ नहीं बल्कि आगे बढ़ो।”
ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध दार्शनिक रुडोल्फ स्टेनर ने गीता की व्याख्या करते हुए कहा “जीवन और सृजन को समझने का भगवद्गीता पूरा ज्ञान देती है। इसे समझने के लिए मनुष्य को अपनी आत्मा को शुद्ध करना बेहद आवश्यक है।” भगवान कृष्ण युद्ध के मैदान में दुविधा में फंसे कृष्ण को दुनिया के रहस्य को बताते हुए योग का रास्ता समझाते हैं। स्टेनर कहते हैं- कोई व्यक्ति कर्म, प्रशिक्षण और बुद्धि से कितनी ऊंचाई तक पहुंच सकता है, उसका उदाहरण कृष्ण हैं।