डॉ. अंबेडकर द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने की आवश्यकता- बंसी लाल भाटी
डॉ. अंबेडकर द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने की आवश्यकता- बंसी लाल भाटी
- समरस राष्ट्र के निर्माण में डॉ. अंबेडकर का योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बाड़मेर द्वारा डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर सशक्त एवं समरस राष्ट्र के निर्माण में डॉ. अंबेडकर का योगदान विषय पर एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य मार्गदर्शन बंसीलाल भाटी (सह प्रांत कार्यवाह जोधपुर) का रहा व मुख्य अतिथि के रूप में जयराम दास मेघवाल (अधिशासी अभियंता बाड़मेर), विनीता सोलंकी (सहायक लोक अभियोजक), विमला फुलवरिया (नर्सिंग ट्यूटर) एवं देवी सिंह माडपुरा उपस्थित थे। संगोष्ठी का प्रारंभ डॉ. अंबेडकर व भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
कार्यक्रम में बोलते हुए जयराम दास मेघवाल ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने देश में समान नागरिक संहिता की आवश्यकता उस समय भी अनुभव की थी, उन्होंने धारा 370 का भी विरोध किया था। बाबा साहब जाति विहीन समाज की स्थापना करना चाहते थे।
विमला फुलवरिया ने डॉ. अंबेडकर का संक्षिप्त जीवन परिचय करवाया। देवी सिंह माडपुरा ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. अंबेडकर जैसे अनुकरणीय व्यक्ति से समाज को सदैव प्रेरणा लेनी चाहिए तथा उनकी समाज निर्माण की जो कल्पना थी उसे साकार कर समरस समाज की स्थापना करनी चाहिए। समाज में अस्पृश्यता पर काम करना ही बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
विचार संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विनीता सोलंकी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 1925 से ही समरस समाज के निर्माण में लगा हुआ है। यही बाबा साहब का सपना था।
कार्यक्रम में मुख्य मार्गदर्शक के रूप में बोलते हुए बंसी लाल भाटी ने कहा कि वर्तमान समय में हम सब को डॉ. अंबेडकर के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने की महती आवश्यकता है। डॉ. अंबेडकर ने कई विषयों में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हम समाज हित के कार्य करें, तभी ऐसे कार्यक्रमों की सार्थकता है। उन्होंने कहा कि हमें संविधान के मूल भाव के अनुरूप समाज निर्माण का कार्य करना चाहिए। हमारे शास्त्रों में भी श्रेष्ठ बातें लिखी हैं, हमें उनको अपने जीवन में अमल में लाने के प्रयास करने चाहिए। स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री रहते हुए डॉ. अंबेडकर ने समाज हित के लिए अनेक संघर्ष किये। उनका मानना था कि जागृत समाज ही राष्ट्र का सर्वांगीण विकास कर सकता है। डॉ. अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान वर्ग-भेद का निषेध करता है। संविधान में आवश्यकता अनुसार निरंतर परिवर्तन होता रहे, इस हेतु उन्होंने संविधान संशोधन का प्रावधान भी किया। भाटी ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वाधीनता के अमृत काल में हम सब राष्ट्र के सर्वांगीण उन्नति हेतु प्रयासरत रह कर डॉ. अंबेडकर के सपनों का भारत बनाएं।
कार्यक्रम में नगर के अनेक प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।
✍? डॉ. बी. अंबेडकर
भारतीय संविधान शिल्पी, महा मानवतावादी, नवभारत निर्मापक, समता एवं ममता का निर्वाहक महामानव डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के जन्मोत्सव के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ।