नीमूचाना जन आंदोलन शताब्दी वर्ष समारोह आयोजित
नीमूचाना जन आंदोलन शताब्दी वर्ष समारोह आयोजित
जयपुर, 15 मई। मंगलवार को नीमूचाना धरोहर संरक्षण समिति एवं इतिहास संकलन समिति, जयपुर प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में नीमूचाना जन आंदोलन शताब्दी वर्ष समारोह नीमूचाना गांव में आयोजित किया गया। 99 वर्ष पहले 14 मई 1925 को लगान कम करने के लिए आंदोलित किसानों पर अंग्रेजों ने बेरहमी से गोलियां चलवा दी थीं, जिसमें सैकड़ों निर्दोष किसान मारे गए थे। मंगलवार को सभी बलिदानियों का स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा 14 मई, 1925 को अलवर के नीमूचाना में घोर निन्दनीय हत्याकांड किया गया था। जहां निर्दोष किसानों को बिना किसी सूचना या चेतावनी के अंधाधुंध गोलाबारी एवं तोप के गोलों से मौत के घाट उतार दिया गया था। यह अंग्रेजों की घोर क्रूरता थी।
उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। इस देश ने बहुत बलिदान दिया है। हमारे पूर्वजों ने देश को केवल देश नहीं माना, हम इसे माता कहते हैं। हमारे पूर्वजों का इस बात के पीछे का भाव था- देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखें। उन्होंने कहा, हमने सम्पूर्ण प्रकृति के साथ रिश्ता जोड़ा। हमारे यहां परिवार की कल्पना में केवल पत्नी और बच्चे नहीं हैं, घर में रहने वाली गाय भी परिवार का सदस्य है। इसीलिए तो गो माता है। उन्होंने कहा पहाड़, नदी हमें प्राणवायु देते हैं, हमें प्रकृति का शोषण नहीं करना चाहिए।
निम्बाराम ने नीमूचाना धरोहर संरक्षण समिति बनाने के लिए समिति के सदस्यों का आभार प्रकट किया।
मंच पर उनके साथ इतिहास संकलन समिति के सह संगठन सचिव (राजस्थान क्षेत्र) डॉ. राकेश शर्मा एवं हत्याकांड की प्रत्यक्षदर्शी 111 वर्षीय नानूड़ी देवी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भाग लिया। सभा स्थल पर उपस्थित स्थानीय लोगों ने राजस्थान सरकार से इस गांव को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा दिए जाने की मांग की।
भारत का 1000 वर्ष का संघर्ष काल ऐसे अनेक संघर्ष आख्यानों से भरा है। अपने इस विषय को उठाकर सबके सामने लाने का सद्कार्य किया है। आपका साधु वाद एवं आशा है आगे भी निरन्तरता रहेगी।