भरतपुर जिला : तबलीगी जमातियों ने बनाया कोरोना हॉटस्पॉट

– दर्शन कुमार

राजस्थान के पूर्वी द्वार के नाम से विख्यात भरतपुर जिला इन दिनों कोरोना की चपेट में है। आरंभ में यहाँ कोरोना का कोई मामला नहीं था, किन्तु निजामुद्दीन के तबलीगी मरकज की घटना के बाद भरतपुर में भी कोरोना के मरीज बड़ी संख्या में सामने आए हैं। जिले में कोरोना के एक-दो रोगियों को छोड़कर बाकि मामले प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से तबलीगी जमातियों से ही जुड़े हुए हैं।

कामां से जिले में कोरोना की शुरुआत

जिले में कोरोना के संक्रमण की पहली पुष्टि अलवर और हरियाणा की सीमा पर स्थित कामां तहसील के जुरहरी गांव के एक जमाती में 2 अप्रैल को हुई। यह व्यक्ति 5 दिसंबर को गांव के 15 लोगों के साथ निजामुद्दीन के तबलीगी मरकज में गया था। मरकज से प्रशिक्षण लेने के उपरान्त ये सभी जमाती तबलीगी प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल की ओर निकल गए। और 5 राज्यों के दो दर्जन से अधिक स्थानों पर होते हुए लॉकडाउन के समय पुनः निजामुद्दीन के मरकज में पहुँच गए। इसके बाद संक्रमित जमाती अपने कुछ साथियों के साथ सब्जी आदि की सप्लाई करने वाले ट्रकों का सहारा लेकर आगरा होते हुए 31 मार्च को गाँव पहुंच गया।

निजामुद्दीन मरकज से जुरहरी लौटे इस समूह का 24 वर्षीय इंसाफ (पुत्र साहुन) नामक युवक 4 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाया गया।

सीकरी में भी तबलीगी जमाती पॉजिटिव

3 अप्रैल को जिले के सीकरी क्षेत्र में दो जमातियों में कोरोना का संक्रमण पाया गया। ये दोनों ही तबलीगी प्रचार के उद्देश्य से मार्च के दूसरे सप्ताह में निजामुद्दीन से यहां आए हुए थे। इनमें मुम्बई निवासी जमाती 21 मार्च से जोधपुर गाँव की मस्जिद में रुका हुआ था, वहीं पीलिकावास गाँव की मस्जिद में ठहरा हुआ जमाती जयपुर का रहने वाला है।

80 वर्षीय अब्दुल के कारण बयाना तक पहुंचा संक्रमण

3 अप्रैल को वैर कस्बे के अब्दुल (पुत्र शकूर) का सेम्पल पॉजिटिव पाया गया। शकूर फरवरी के अंत में निजामुद्दीन के मरकज से लौटा था। लौटने के बाद वह समराया, हेलक, आमोली, नयाबास, तालचिड़ी, झालाटाला, उच्चैन, आदि इलाकों में जमाती आयोजनों में शरीक हो रहा था। वह बयाना में भी ‘इस्तमा’ के लिए 4 दिन रुका था। उसका मरकज से आने वाले जमातियों से लगातार मिलता-जुलना बना हुआ था। संभवतः इसी दौरान वह संक्रमण की चपेट में आ गया।

बयाना का कसाईपाड़ा में कोरोना विस्फोट

7 अप्रैल को बयाना कस्बे के में कसाईपाड़ा में कोरोना के 3 केस सामने आए। यहाँ का एक 18 वर्षीय युवक अपने 42 वर्षीय सहयोगी के साथ जमाती यात्रा करके 18 मार्च को बयाना लौटा था। इसके बाद ये दोनों वैर निवासी अब्दुल से 2 अप्रैल को मिले और संक्रमित हो गए। पड़ौस में रहने वाला एक व्यक्ति भी इनसे संक्रमण की चेन में आ गया।

बयाना के केस आने से पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रशासन की मुस्तैदी से समय रहते इस पर नियंत्रण कर लिया जाएगा। लेकिन कसाईपाड़ा ने इस समस्या को अत्यंत जटिल बना दिया। इसे रोकने की दिशा में प्रशासन कोई कदम उठाता उससे पूर्व ही कोरोना का संक्रमण अनेक लोगों को अपना शिकार बना चुका था। यही कारण है कि 12 अप्रैल को कसाईपाड़ा में कोरोना के 10 और नए मामले सामने आए। 16 अप्रैल को 22 नए केस पाए गए। 18 अप्रैल तक आते-आते स्थिति ने विस्फोटक रूप धारण कर लिया। उस दिन 41 लोगों के सेम्पल पॉजिटिव निकले।

अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह बात उभर कर आती है कि बयाना में अभी तक के सभी 86 कोरोना मामले मुस्लिम बहुल क्षेत्र कसाईपाड़ा के हैं। और इसकी चपेट में 2 वर्ष से लेकर वृद्ध व्यक्ति आ चुके हैं। इन 86 मरीजों में से 77 आपस में रिश्तेदार अथवा पड़ोसी हैं। यह आँकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

जिला प्रशासन ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए कसाईपाड़ा के लगभग 400 निवासियों को दो स्थानों पर क्वारेंटाइन किया है। लेकिन इसके बाद भी स्थिति नियंत्रित हो जाएगी यह दावा करना बेहद कठिन है। कारण यह है कि बयाना में कसाईपाड़ा के निकट ही जलदाय विभाग के पीछे और मीराना में बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते हैं। अगर इन बस्तियों में यह संक्रमण फैल जाता है तो स्थिति पूरी तरह नियन्त्रण से बाहर हो जाएगी और बयाना कोरोना का रामगंज (जयपुर) से भी बड़ा केंद्र बन जाएगा।

स्थिति का अनुमान लगाने में विफल रहा प्रशासन

समय रहते सख्त कदम उठा कर भरतपुर को कोरोना हॉटस्पॉट बनने से रोका जा सकता था। लेकिन जिले में लॉकडाउन का पूर्णतः पालन नहीं हुआ। इस कारण कोरोना के अपराधियों पर शिकंजा नहीं कसा जा सका। कानूनन 22 मार्च से राजस्थान का बार्डर सील है; फिर भी, कामां सहित अन्य स्थानों पर दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही हो रही है। 4 अप्रैल को नौनेरा स्थित हरियाणा का निरीक्षण भरतपुर के कांग्रेस नेता और राजस्थान सरकार के कैबीनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने किया और पाया कि बार्डर सील होने के बाद भी लोग आसानी से आ जा रहे हैं। उस समय उन्हें बार्डर पर तैनात पुलिस कर्मचारी भी अनुपस्थित मिले।

इसी के साथ मरकज में शामिल होने की सूचना न देने वाले जमातियों के खिलाफ भी कोई अधिक सख्ती नहीं दिखाई गई। भरतपुर जिला कलेक्टर भी अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक प्रशासन का सहयोग न करने वाले जमातियों के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाने के स्थान पर केवल चेतावनी जारी करते रहे।

दरअसल जब राज्य के मुख्य सचेतक महेश शर्मा जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता सार्वजनिक रूप से जमातियों का पक्ष लेते हुए कहते हैं कि कोरोना के प्रसार के लिए “जमाती दोषी नहीं हैं”, यह सुनकर कुछ भी अजीब नहीं लगता है। उल्लेखनीय है कि महेश शर्मा पूर्व में जयपुर के सांसद भी रहे हैं और आजकल उसी जयपुर शहर से विधायक हैं जहां का मुस्लिम बहुल रामगंज इलाका राज्य में कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बना हुआ है। ऐसे संकट के दौर में राज्य के एक जिम्मेदार नेता का ऐसा निराधार और असंवेदनशील बयान सरकार की मंशा को जाहिर करता है। यही कारण है कि राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बेतुके और तथ्य विहीन बयान पर पूरी तरह चुप्पी साधकर यह जताने की कोशिश की कि वे जमातियों के विरोध में नहीं हैं। इसीलिए राजस्थान में कोरोना के बचाव में जुटे पुलिसकर्मियों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को बार-बार मुस्लिम समुदाय के हमलों का सामना करना पड़ रहा है।

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