बेंगलुरु दंगों की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी गई, ये दंगे संयोग नहीं थे
बेंगलुरु दंगों की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट 4 सितंबर 2020 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को सौंपी गई।अगस्त 2020 में बेंगलुरु शहर दंगों का गवाह बना था। ये दंगे संयोग मात्र नहीं थे। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ‘सिटीजन्स फॉर डेमोक्रेसी’ ने दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने व पीड़ितों से बातचीत करने व मौजूद साक्ष्यों के आधार पर दंगों से सम्बंधित एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की है। इसके प्रमुख अंश निम्न प्रकार हैं:
1. 11 अगस्त, 2020 को, लगभग 15 से 20 मुस्लिम युवकों का एक समूह पुलकेशी नगर कांग्रेस विधायक आर अखंडा श्रीनिवासमूर्ति के घर के बाहर विधायक के भतीजे नवीन कुमार द्वारा डाली गई पोस्ट के विरुद्ध एकत्रित हुआ।
2. SDPI के मुज़म्मिल पाशा, फ़िरोज़ आदि सदस्य एफआईआर दर्ज कराने के लिए पुलिस स्टेशन गए और नवीन कुमार के खिलाफ शिकायत की। पुलिस से नवीन के विरुद्ध कार्यवाही करने का आश्वासन मिलने के बावजूद कुछ ही समय में 3000 लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई और विधायक अखंड के निवास, पी नवीन कुमार, के जी हल्ली पुलिस स्टेशन और डी.जे. हल्ली पुलिस स्टेशन पर एक साथ हमले किए।
3. इनके अलावा, उन्होंने कई अन्य हिंदू घरों पर भी हमला किया। पुलिस और निजी वाहनों को आग लगा दी, पथराव किया, खिड़कियों पर पत्थर फेंके, छड़ों व अन्य हथियारों से संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।
4. योजना इस तरह से बनाई गई थी कि पुलिस को बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस छोड़नी पड़ी और फायर करने पड़े। अनुमान है कि लगभग 36 सरकारी वाहन, लगभग 300 निजी वाहन और कई घर नष्ट हो गए तथा लगभग 10-15 करोड़ रुपये की क्षति हुई।
5. दंगा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बाद समिति ने कई पीड़ितों, पुलिस और प्रमुख लोगों से बातचीत की। बातचीत और साक्ष्यों से पता चलता है कि –
A) यह दंगे पूर्व नियोजित और संगठित थे।
B) भीड़ ने क्षेत्र के कुछ प्रमुख हिंदुओं को विशेष रूप से लक्षित कर हमला किया।
C) इन दंगों का उद्देश्य राज्य में आम लोगों के विश्वास को कम करना था।
D) एफआईआर और पीड़ितों के साथ बातचीत से बातचीत करने पर पता चलता है कि इस दंगे को अंजाम देने में स्थानीय लोग भी शामिल थे। समिति की राय है कि स्थानीय लोग न केवल इसमें शामिल थे बल्कि उन्हें इसके बारे में भी पहले से पता था।
E) भले ही ये दंगे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के रूप में शुरू हुए हों लेकिन ये निस्संदेह सांप्रदायिक रूप से प्रेरित थे। समिति का मानना है कि जिस तरह से हिंदू घरों पर हमला किया गया है और हिंदुओं को निशाना बनाया गया इससे लगता है कि इन दंगों का उद्देश्य क्षेत्र में डर पैदा करना भी हो सकता है। ताकि जनसांख्यिकी परिवर्तन से क्षेत्र को मुस्लिम बहुल बनाया जा सके।
F) समिति की राय है कि इस घटना की योजना और निष्पादन में एसडीपीआई और पीएफआई शामिल हैं।