संसार भर में बिखरे हैं सनातन परंपरा के रक्तकण

संसार भर में बिखरे हैं सनातन परंपरा के रक्तकण

डॉ. शिप्रा पारीक

संसार भर में बिखरे हैं सनातन परंपरा के रक्तकण
बर्बर आक्रांताओं ने पूरे मध्य एशियाई देशों और चर्च के प्रभाव ने यूरोप को उसके मूल चरित्र से पृथक कर दिया। इसके बावजूद सनातन परंपरा के रक्तकण इन देशों की मिट्टी के गर्भ और वहां की अनेक जातियों में अभी तक जीवित हैं।

हज़ारों वर्षों से भारत की संस्कृति और सभ्यता ने विश्व भर को प्रभावित किया है। विश्व के अनेक देशों में मौजूद सनातन संस्कृति इसका प्रमाण है। इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, म्यानमार, कंबोडिया, श्रीलंका, मलेशिया में सनातन संस्कृति अभी भी उसी रूप में जीवित है। इसके अतिरिक्त ईरान, इराक, सीरिया से  लेकर यूरोपीय देशों में सनातन परंपराओं के प्रमाण और चिह्न मिले हैं। ये सभी तथ्य इस बात का संकेत करते हैं कि सदियों पहले तक विश्व के आधे से अधिक हिस्से पर सनातन संस्कृति का परचम था। लेकिन बर्बर आक्रांताओं और मध्ययुगीन इस्लामिक बर्बता ने पूरे मध्य एशियाई देशों और चर्च के प्रभाव ने यूरोप को उसके मूल चरित्र से पृथक कर दिया। इसके बावजूद सनातन परम्परा के रक्तकण इन देशों की मिट्टी के गर्भ में और वहां की अनेक जातियों में अभी तक जीवित हैं। सनातन परंपरा में गणेश ऐसे देवता हैं जिनकी आराधना किसी न किसी स्वरूप में विश्व के हर भाग में होती है और हमारी तरह ही उन्हें सुख, समृद्धि और बुद्धि का देवता माना जाता है।

दक्षिण अमेरिका के मेक्सिको, पेरू, वेनेजुएला, ग्वाटेमाला, होंडुरास आदि सभी देशों में भगवान गणेश के पूजन के प्रमाण मिले हैं और विभिन्न शैलियों में वहां भगवान गणेश की प्रतिमाएं मिली हैं। दक्षिण अमेरिका तथा उत्तर अमेरिका में दूरदराज तक  हाथी नहीं मिलते हैं लेकिन यहां हाथी के मस्तक वाली गणेश प्रतिमाएं बहुतायत में मिली हैं जो इस बात का प्रमाण है कि सनातन संस्कृति समंदर पार अमेरिका तक विस्तारित थी।
मेक्सिको में भगवान गणेश का बहुत आकर्षण है। वहां अनेक रेस्तरां का नाम गणेश पर आधारित है। मेक्सिको के तुलुम शहर में casa GaneshTulum जैसे कई रेस्तरां का नाम गणेश पर है। मेक्सिको के शहर सयुलिता में कई टूरिस्ट अपार्टमेंट का नाम Palapa Ganesh Amazing Ocean view जैसे नाम पर है।
मेक्सिको में भगवान गणेश
थाईलैंड को भगवान गणेश का देश कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां पर भगवान गणेश को बुद्धि के देवता तथा विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है। थाईलैंड में भगवान गणेश को  फ्राफिकानेट या फ्राफिकानेसुआन कहते हैं। भारत में जैसे गणेश जी के गीत बजते हैं उसी तरह थाई भाषा में गणेश गीत प्रसिद्ध है।
बैंकॉक से सात- आठ  सौ किलोमीटर दूरी पर चाचोइंगशाओ (Chachoengsao) में भगवान गणेश के तीन मंदिर हैं, जिनमें गणेश जी की विशाल प्रतिमाएं हैं। थाईलैंड में सभी प्रांतों में गणेश जी की उपस्थिति दृष्टिगत होती है। वहां के निवासी थाई भाषा में भगवान गणेश की प्रार्थना एवं आरती करते हैं। उनकी पूजा विधि में संस्कृत के मंत्र भी हैं।
चीन में अनेक प्राचीन हिंदू मंदिर हैं। इन मंदिरों में भगवान गणेश की अनेक प्राचीन मूर्तियां हैं। चीन में  गणेश को बुद्धि तथा समृद्धि का देवता माना गया है। चीन में गणेश उत्सव चीनी पद्धति से मनाया जाता है।
तिब्बत हिंदू और बौद्ध परंपराओं का देश रहा है। इसीलिए अनेक स्थानों पर भगवान गणेश के चित्र और उनकी प्रतिमाएं वहां पर भी हैं। बौद्ध परंपरा में महायान और वज्रयान पंथों में गणेश जी का विशिष्ट स्थान है। तिब्बती भाषा में उन्हें गणपति या महा-रक्त भी कहा जाता है। तिब्बत में विनायक गणेश मंदिर प्रसिद्ध है। महात्मा बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनंद को गणपति हृदय मंत्र की दीक्षा दी थी। इसीलिए इन देशों में बौद्ध मंदिरों या स्तूपों के बाहर गणेश जी की मूर्तियां हैं।
श्रीलंका के रग-रग में हिंदू संस्कृति का संचार है। भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा वहां सर्वत्र दिखाई देती है। श्रीलंका  में गणेश भगवान का नाम पिल्लईयार है। कटरागाम मंदिर गणेश भक्तों की आस्था का केंद्र है।
इस प्रकार हमारी भारतीय संस्कृति की छाप हमें सर्वत्र दिखाई देती है।  दुनिया भर में गणपति की आराधना और पूजा सदियों से होती रही है। अब इस बात की आवश्यकता है कि हम उन सभी देशों के साथ अपने सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करें जिससे उन देशों के साथ हमारा नागरिक से नागरिक संपर्क बढ़ सके। इससे दुनिया भर में भारतीय संस्कृति और सुदृढ़ हो सकेगी।
Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *