जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व समाप्त हुआ- दत्तात्रेय

जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व समाप्त हुआ- दत्तात्रेय

जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व समाप्त हुआ- दत्तात्रेयजनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व समाप्त हुआ- दत्तात्रेय

अजमेर, 8 अक्टूबर। जवाहर रंगमंच में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, अजयमेरु (अजमेर) द्वारा आयोजित प्रबुद्ध जन सम्मेलन में “एक भारत श्रेष्ठ भारत निर्माण में हमारी भूमिका” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत स्वाधीन तो हुआ है, किन्तु हमें ‘स्व-तंत्र’ विकसित करना होगा। भारत को सिर्फ राजनैतिक दृष्टि से स्वतंत्रता नहीं चाहिए, हमें वैचारिक व बौद्धिक उपनिवेश से मुक्त होना होगा। उन्होंने प्रशासन व्यवस्था, न्याय प्रणाली, शिक्षा पद्धति, अर्थ व्यवस्था सहित समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय विचार व दृष्टि पर आधारित व्यवस्था स्थापित करने का आह्वान किया, जिससे हर भारतीय राष्ट्रीय गौरव का अनुभव कर सके।

उन्होंने उपस्थित प्रबुद्ध जनों से महाभारत के एक श्लोक को उद्धरित करते हुए आग्रह किया कि देश को सन्मार्ग पर उन्मुख करना उनका कर्तव्य है। उन्होंने भारत के लगभग एक हजार वर्ष की परतंत्रता का, विशेषत: 250 वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी का विषद विवेचन करते हुए, भारत की स्वाधीनता हेतु प्रत्येक वर्ग के संघर्ष और उत्सर्ग का इतिहास सामने रखा। पिछले 75 वर्षों में स्वाधीन भारत ने विश्व में नई गौरवमय पहचान बनायी है। आज विश्व भारत की और आकर्षित है और आशा की दृष्टि से देखता है।

उन्होंने स्वदेशी, स्वावलंबन, अर्थ, कृषि, नई शिक्षा नीति, स्वास्थ्य, मतांतरण आदि विषयों पर भी अपने विचार रखे।

जनसंख्या वृद्धि पर विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। कई देश जनसंख्या वृद्धि को भार भी मानते हैं, किन्तु यह सही परिमाण में रहे तो देश की शक्ति भी है। चीन जैसे देश ने अपनी जनसंख्या नीति ही बदल दी है, क्योंकि राष्ट्र को युवा शक्ति चाहिए, जिससे देश उद्यम व साहस के साथ प्रगति के मार्ग पर प्रशस्त रहे।

हम स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। अगले 25 वर्ष हमें अमृतकाल समझ कर कार्य करना है। भारत को श्रेष्ठ बनाने का दायित्व सिर्फ सरकार का नहीं है, भारत को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ बनाने हेतु हम सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता ने भारतमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया। एकात्मता मंत्र की प्रस्तुति के पश्चात् मंचस्थ अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया गया। मुख्य अतिथि सेवानिवृत चिकित्सक डॉ. स्नेह लता मिश्रा का स्वागत प्रांत संघचालक जगदीश राणा द्वारा किया गया। कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन विभाग संघ चालक बसंत विजयवर्गीय द्वारा किया गया।

मुख्य अतिथि डॉ. स्नेह लता मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि विविधता में एकता भारत की श्रेष्ठ पहचान है। उन्होंने भारत की एकता और अखंडता हेतु सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान को स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा “एक भारत श्रेष्ठ भारत” योजना हेतु किये जाने वाले प्रयासों पर गर्व व्यक्त किया।

आभार महानगर संघ चालक खाजूलाल चौहान ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रामानंद कुलदीप ने किया तथा अंत में सामूहिक कल्याण मंत्र द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारियों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं, प्रोफ़ेसर्स, शिक्षकों, पत्रकारों, चार्टेड अकाउंटेन्ट, व्यापारियों, साधु संतों, राजनीतिज्ञों, सैन्य अधिकारियों, कला-विज्ञान क्षेत्र के विद्वानों, विभिन्न एन. जी. ओ. संचालकों, खेल प्रतिभाओं, श्रमिक विकास हेतु प्रतिबद्ध प्रबुद्धजनों तथा बड़ी संख्या में मातृशक्ति का सहभाग रहा।

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