मंदिरों में बढ़ती चोरी की घटनाएं, संत भी निशाने पर

जयपुर। राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। महिला अपराध का आंकड़ा तो अपनी जगह है, राजस्थान चोरों के लिए भी स्वर्ग साबित हो रहा है। घर तो घर चोरों ने मंदिरों को भी नहीं छोड़ा है। मंदिरों में चोरी की वारदातें बढ़ रही है। चोरी तक तो बात सीमित है, लेकिन बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे संतों को भी निशाना बना रहे हैं। कहीं पुजारियों की हत्या तो कहीं संतों के साथ मारपीट हो रही है और कार्रवाई के खाने में शून्य ही नजर आता है।

पिछले दिनों 3 नवम्बर को राजस्थान की राजधानी जयपुर के शिव विहार, मान्यावास स्थित श्री कल्याणेश्वर शिव हनुमान मंदिर में चोरी की घटना सामने आई है। पता चला है कि मंदिर से तांबे के बर्तन, मूर्तियां और अन्य कीमती वस्तुएं चोरी हो गईं। मानसरोवर थाना क्षेत्र में चोरी की रिपोर्ट मोहनलाल शर्मा ने दी, लेकिन पुलिस चोरों का सुराग अब तक लगा नहीं पाई।

एक प्रकरण जैसलमेर के फतेहगढ़ से सामने आया है। फतेहगढ़ के सांगढ़ थाना क्षेत्र में देवीकोट के पास प्रसिद्ध शक्ति पीठ देगराय मंदिर में एक नवंबर की रात चोर ने मुंह पर नकाब लगाकर मंदिर में चोरी की। पुलिस के लिए नकाब परेशानी बन गया है। पुलिस इस मामले में भी अब तक कोई सुराग नहीं लगा पा रही है, जबकि यहां सीसीटीवी भी लगे हैं, जिसके फुटेज भी पुलिस के पास पहुंच गई है। मामले में कोई प्रगति नहीं होने से श्रद्धालुओं में रोष है।

हालांकि, कुछ घटनाओं में एक घटना 2 नवम्बर को जयपुर के ब्रह्मपुरी क्षेत्र स्थित वनवासी मंदिर में हुई चोरी की है, जिसमें पुलिस पुलिस ने तुरंत संज्ञान लेकर कार्रवाई की तथा कुछ ही घंटों में चोर को गिरफ्तार कर लिया। सीसीटीवी फुटेज की सहायता से इरफान उर्फ गोटा को गिरफ्तार कर चोरी का सामान भी प्राप्त कर लिया गया। पुलिस ने 50 से अधिक सीसीटीवी फुटेज चैक कर चोरी का खुलासा किया। जानकारी के अनुसार इरफान से प्राप्त चोरी के समान में तांबा व पीतल की मूर्तियां, बर्तन व अन्य कीमती वस्तुएं प्राप्त हुईं।

चोरी की घटनाओं के बाद लोगों में रोष संतों को निशाना बनाने को लेकर है। राजस्थान के टोंक जिले के डिग्गी में स्थित भूरिया महादेव मंदिर आश्रम के संत सियाराम दास बाबा की पिछले अगस्त में रात के समय में निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई थी। इस घटना को लेकर भी स्थानीय निवासियों में रोष है। मंदिरों और साधु-संतों को निशाना बनाने की लगातार घटनाओं के बावजूद पुलिस महकमे द्वारा इन मामलों को गंभीरता से न लिया जाना सवाल खड़े कर रहा है।

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