देश के विकास के लिए समान नागरिक संहिता अनिवार्य- इंद्रेश कुमार

देश के विकास के लिए समान नागरिक संहिता अनिवार्य- इंद्रेश कुमार

देश के विकास के लिए समान नागरिक संहिता अनिवार्य- इंद्रेश कुमार

देश के विकास के लिए समान नागरिक संहिता अनिवार्य- इंद्रेश कुमार

जयपुर, 08 फरवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि समान नागरिक संहिता किसी की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं है। सबके लिए समान कानून होना ही चाहिए। इस कानून के बनने से किसी भी धर्म और जाति के लोगों की स्वतंत्रता समाप्त नहीं होगी और न ही किसी के व्यक्तिगत जीवन पर कोई असर होगा। देश के विकास के लिए समान नागरिक संहिता अनिवार्य है। इससे सभी नागरिकों के बीच समानता की भावना पैदा होगी। विभिन्न सम्प्रदायों और समुदायों के बीच आपसी समझ और सद्भावना बढ़ेगी। इन्द्रेश कुमार बुधवार को मालवीय नगर स्थित पाथेय भवन के महर्षि नारद सभागार में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच राजस्थान चैप्टर की ओर से “एक देश, एक कानून” विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि इस्लाम में कहीं नहीं लिखा कि चार शादियां करो, जो यह कहता है वह झूठ बोल रहा है और जो इसे मान रहा है वो अपराध कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में सुन्नत और कुरान बहुत साफ कहते हैं कि बिना सहमति के कोई दूसरी शादी नहीं कर सकता।

उन्होंने यह भी कहा कि हिन्दुस्तान में यह पॉलिटिकल फैशन है, कुछ भी लागू करिए, हर बार प्रश्न खड़ा होता है कि मुसलमानों का क्या होगा? कोई यह क्यों नहीं कहता कि हिन्दुस्तानियों का क्या होगा? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वाधीनता के 75 वर्षों बाद भी मुसलमान में राष्ट्र प्रथम की भावना नहीं आयी। उनको मुसलमान ही बनाकर रखा गया और जब तक वह सिर्फ मुसलमान बना रहेगा, यह परेशानी खड़ी ही रहेगी। जिस दिन मुस्लिम हिन्दुस्तानी और भारतीय हो जाएंगे, उस दिन इनके और इस देश के भी रोग समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि अंग्रेज चाहते थे बंटवारा हो, तब एक ने मजहब के नाम पर हिन्दुस्तान ले लिया और एक ने पाकिस्तान। यदि सुभाष, अंबेडकर, डॉ. मुखर्जी की सुनी जाती तो भारत का बंटवारा नहीं होता और यह प्रश्न सदा के लिए समाप्त हो जाता कि मुसलमान का क्या होगा? आज हम अपनी सांस्कृतिक निष्ठा से भारत को जीतते हुए और सम्मान प्राप्त करते हुए देख रहे हैं। एक भारतीय ऋषि सुनक ब्रिटेन का प्रधानमंत्री है। उन्होंने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता बिल लाए जाने का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि चुनावों के समय पॉलिटिकल पार्टियां आपको वोटर के रूप में देखती हैं और आप भी जब वोटर के रूप में बिकते हैं तब दुर्भाग्यशाली जीवन जीने लिए अभिशप्त होते हैं। मुसलमान के साथ बरसों से यही होता आ रहा है। समान नागरिक संहिता देश हित में है। इससे भारतीयता की भावना बढ़ेगी।

कश्मीर घाटी में जिन्होंने तिरंगा जलाया था, उस पर थूका था, उसे कुचला था, फाड़ा था और ‘इंडियंस आर डॉग्स, दे शुड गो बैक’ जैसे नारे लगाए थे, हमने उनको भी बदलते देखा है।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत के अलावा ऐसा कोई देश नहीं जो सबको स्वीकार करता हो। भारत एकमात्र देश है, जिसने सभी मजहबों को जगह दी और उन्हें फलने फूलने के रास्ते भी दिए। इसलिए भारत ही वो धरती है, भारत ही वो समाज है और भारतीयता ही वो चिंतन है, वो सभ्यता है जो दुनिया में अपवाद है।

इंद्रेश कुमार ने ज्ञानवापी पर कहा कि, दोनों पार्टियाँ 31 वर्षों से कोर्ट में लड़ रही थीं। संवाद से निर्णय नहीं आया तो कोर्ट से आ गया। अब इसके लिए दंगा करना ठीक नहीं।

मुख्य अतिथि के रूप में उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि समान कानून आज की आवश्यकता है। इससे राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया को बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब भी समान नागरिक कानून पर चर्चा होती है तभी यह शगुफा छोड़ा जाता है कि यह बिल अथवा कानून इस्लाम की अवधारणा पर चोट है। खूबसूरत राष्ट्र तभी बनेगा जब हम इसे एक कानून रूपी धागे में पिरो देंगे। इस कानून से वोट बैंक की तुष्टिकरण वाली राजनीति पर लगाम अवश्य ही लग जाएगी।

कार्यक्रम के आरम्भ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक सत्यनारायण के देहावसान हो जाने पर दो मिनट का मौन रख कर उन्हें श्रद्धांजली दी गई। संचालन मुकेश पारीक ने किया एवं कार्यक्रम की प्रस्तावना देवेश बंसल ने रखी। प्रदेश महासचिव पुष्कर उपाध्याय ने आभार व्यक्त किया। फेन्स राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. एस एस अग्रवाल ने सभी का स्वागत किया।


Print Friendly, PDF & Email
Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *