चीन ने जारी किया नया मानचित्र, अरुणाचल प्रदेश को बताया अपना

चीन ने जारी किया नया मानचित्र, अरुणाचल प्रदेश को बताया अपना

चीन ने जारी किया नया मानचित्र, अरुणाचल प्रदेश को बताया अपनाचीन ने जारी किया नया मानचित्र, अरुणाचल प्रदेश को बताया अपना

विस्तारवादी चीन ने सोमवार (28 अगस्त, 2023) को चीन का नया मानचित्र जारी किया, जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को अपने क्षेत्र में दर्शाया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। परंतु भारत ने चीन के इस मानचित्र को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्री जयशंकर ने  कहा कि ऐसा करना चीन की पुरानी आदत है। अक्साई चिन, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश भारत के अभिन्न अंग हैं। बेकार के दावों से ऐसा नहीं हो जाता कि किसी और के क्षेत्र आपके हो जाएंगे।

सीमा विवाद में चीन सबसे आगे रहा है। चीन ने अपनी विवादास्पद विस्तारवादी नीति के कारण सभी पड़ोसी देशों की भूमि पर या तो कब्जा कर रखा है या कब्जे का प्रयास करता रहता है। चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा 14 देश के साथ मिलती है, जिनमें भारत, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, उत्तर कोरिया, अफगानिस्तान, भूटान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लाओस, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और वियतनाम सम्मिलित हैं। इन सभी देशों के साथ चीन का कभी ना कभी सीमा विवाद रहा है। इसके अलावा ताइवान, फिलिपींस, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, ब्रूनेई और तिब्बत से भी चीन का सीमा विवाद है। भारत के सीमावर्ती राज्यों और नेपाल व भूटान देश पर कब्जे को चीन की विवादित “फाइव फिंगर पॉलिसी” के नाम से जाना जाता है।

चीन का विभिन्न देशों के साथ सीमा विवाद निम्न प्रकार है :

– ताइवान की तरह चीन लाओस को भी अपने देश का हिस्सा       बताता है
– मंगोलिया में उपस्थित भीतरी मंगोलिया एक स्वायत्त क्षेत्र है चीन इस पर भी अपना अधिकार बताता है।
– तिब्बत के क्षेत्र में चीन का भूमि विवाद बहुत पुराना और प्रचलित है। चीन ने वर्ष 1950 में इस हिमालयी देश पर कब्जा कर लिया था।
– चीन ने 1949 में पूर्वी तुर्किस्तान पर कब्जा कर लिया था ।चीन इसे शिंजियांग प्रांत के नाम से अपने देश का भाग बताता है।
– चीन पूरे ताइवान को अपना क्षेत्र बताता रहा है। ताइवान के बीच टापू पर बसा एक देश है जो पूर्व में कभी जापान, तो कभी चीन का भाग रहा है।
– चीन और ब्रुनेई के बीच स्प्रैटली द्वीप समूह के कुछ हिस्सों को लेकर सीमा विवाद है।
– चीन और सिंगापुर के मध्य दक्षिण चीन सागर के कुछ क्षेत्रों को लेकर विवाद है।
– चीन और उत्तर कोरिया में विवाद का मुख्य कारण जापान सागर का क्षेत्र है।
– चीन, दक्षिण कोरिया के सोकोट्रा रॉक या सोयोन रॉक को अपना विशेष क्षेत्र बताता है तथा समय-समय पर घुसपैठ का प्रयास भी करता रहता है।
– चीन और मलेशिया का विवाद मुख्य रूप से स्प्रैटली द्वीप समूह को लेकर है। चीन यहां कई बार घुसपैठ कर चुका है।
– वियतनाम से चीन का समुद्री सीमा विवाद है। चीन, वियतनाम के बड़े भाग पर अपना दावा करता है।
– चीन और इंडोनेशिया के बीच समुद्री क्षेत्र को लेकर विवाद है, चीन नटून द्वीप समूह और दक्षिण चीन सागर के कई अन्य भागों पर कब्जा करने का प्रयास करता है।
– चीन और फिलिपींस के बीच भी समुद्री सीमा को लेकर विवाद है, इस क्षेत्र में चीन स्कारबोरो रीफ और स्प्रैटली द्वीप समूह को कब्जाने के प्रयास में लगा है।

चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमा 14 देशों से मिलती है। परंतु चीन का सीमा विवाद केवल इन 14 देशों से ही नहीं बल्कि कुल 22 देशों के साथ है। यह चीन की विस्तारवादी और दूसरे देशों की भूमि पर कब्जा करने की नीति का परिचायक है ।

चीन का अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करने के प्रयास का कारण:

– एक कारण है ब्रह्मपुत्र नदी, ब्रह्मपुत्र नदी के बिना चीन कभी भी विश्व का सबसे शक्तिशाली देश नहीं बन सकता। चीन के पास सबसे कम पानी है। पुराने समय में समझा जाता था कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी को निगल लेगा क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी का दो तिहाई हिस्सा चीन के पास है और भारत के पास ब्रह्मपुत्र नदी का केवल एक तिहाई हिस्सा है। परंतु जब पहला हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन 2001-2002 में हुआ तो पाया गया कि ब्रह्मपुत्र का दो तिहाई हिस्सा तो चीन में है, परंतु जल का संग्रहण केवल 20% है जबकि ब्रह्मपुत्र का 60% जल संग्रहण अकेले अरुणाचल प्रदेश में होता है, बाकी 20% पूरे भारत से होता है। यह एक बड़ा कारण है, जिसके चलते चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश पर कब्जा करना चाहता है।

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