ज्ञानेश्वरी ग्रंथ ज्ञान का अथाह भंडार है – गोविंदगिरी जी महाराज

ज्ञानेश्वरी ग्रंथ ज्ञान का अथाह भंडार है - गोविंदगिरी जी महाराज

ज्ञानेश्वरी ग्रंथ ज्ञान का अथाह भंडार है - गोविंदगिरी जी महाराज

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भैय्याजी जोशी ने कहा कि “हम जब हिन्दू राष्ट्र या विश्वगुरु भारत की बात करते हैं तो कुछ लोग हमारी भावना को समझ नहीं पाते हैं। मेरा आग्रह है कि वे संत ज्ञानेश्वर की रचना को पढ़ें। उनमें ‘पसायदान’ जरूर पढ़ें।” उन्होंने यह बात सोमवार को ‘ज्ञानेश्वरी प्रसाद’ पुस्तक के लोकार्पण समारोह के दौरान अपने सम्बोधन में कही।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के नव-निर्मित सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सत्ता केंद्रित चिंतन का हमारे लिए कोई स्थान नहीं है। हम लोग एक विचारधारा को लेकर आगे बढ़े हैं। इसका विरोध करने वाले हमारी भावनाओं को नहीं समझ पाते और बार-बार हमें कठघरे में खड़ा करने के प्रयास करते हैं। मेरा उनसे आग्रह है कि वे ‘पसायदान’ को जरूर पढ़ें, जिससे हमें विश्वव्यापी दृष्टि मिलती है।

कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित गोविंदगिरी जी महाराज ने कहा, “ज्ञानेश्वर महाराज संत सम्राट हैं। उनकी वाणी का अध्ययन अनिवार्य है।”

संत ज्ञानेश्वर के रचना कौशल का बारीकी से परिचय कराते हुए उन्होंने कहा कि ‘वे केवल संत ही नहीं थे, बल्कि दार्शनिकों के शिरोमणि रहे हैं।’ आज आषाढ़ शुक्ल दशमी है और इस तिथि का संत ज्ञानेश्वर को लेकर विशेष महत्व है। ऐसे में पुस्तक का विमोचन निश्चित ही दैवीय संयोग है।

‘ज्ञानेश्वरी प्रसाद’ पुस्तक का उल्लेख करते हुए गोविंदगिरी जी महाराज ने कहा कि ज्ञानेश्वरी ग्रंथ ज्ञान का अथाह भंडार है, लेकिन उसे कहां से पढ़ना है और पढ़ने की पद्धति क्या हो आदि समझ विकसित करने के लिए ‘ज्ञानेश्वरी प्रसाद’ पुस्तक को पढ़ना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहा कि आज पूरी दुनिया में गीता पर सघन कार्य हो रहा है। वर्तमान समय में गीता को देखने की जो दृष्टि है, वह ज्ञानेश्वरी प्रसाद में मिलती है। इस पुस्तक में कर्म-ज्ञान-भक्ति का समन्वय है। यह बात इस पुस्तक को दूसरों से भिन्न और श्रेष्ठ बनाती है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य एवं पूर्व राजनयिक ज्ञानेश्वर मूले ने कहा कि संत ज्ञानेश्वर क्रांतदर्शी संत थे। उन्होंने संस्कृत को छोड़कर सर्व-साधारण की भाषा में अपनी बात कही और समाज में क्रांति लाने का काम किया।

कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि कला केंद्र इस कार्यक्रम के साथ अपने बौद्धिक कार्यक्रम का शुभारंभ करने जा रहा है। यह ईश्वरीय प्रसाद है। कला केंद्र के कला निधि विभाग के अध्यक्ष डॉ. रमेशचंद्र गौड़ ने विभाग के कार्यों से लोगों का परिचय कराया।

कार्यक्रम के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए निश्चित संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया था।

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