समझदारी

इन्होंने सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों पर ही हमला नहीं किया बल्कि सामाजिक कल्याण के ताने-बाने को भी तोड़ने का भरपूर प्रयास किया है।

शुभम वैष्णव

हमारे पड़ोसी हैं कुटकाराम जी, एकदम मस्त मौला व्यक्ति हैं। उनका और मेरा रिश्ता बड़ा प्रगाढ़ है। आज वह अखबार पढ़ते पढ़ते मुस्कुरा रहे थे, तो मैंने यूं ही पूछ लिया – आज इतना कैसे मुस्कुरा रहे हैं? इस मुस्कुराहट का क्या राज है?
भाई खबर ऐसी है कि सुनकर तुम्हारा दिल भी बाग-बाग हो जाएगा। वैसे भी तुम नर्सिंग के क्षेत्र से जुड़े हुए हो, इसलिए इस खबर का संबंध सीधे तुमसे ही है। भारत सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों पर बढ़ते हमलों को रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाया है। जिसके तहत उन पर हमला करने वालों पर 7 साल की सजा और 5 लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सही किया न सरकार ने? अब खुश तो बहुत होगे तुम?

उसने कहा, मैं क्या पूरा देश खुश है। कुछ लोगों के दिमाग पर असामाजिकता का वायरस हावी रहता है। तभी तो उनको किसी के भी कार्यों से कोई सरोकार नहीं। बस उनका काम तो हुड़दंग मचाना है। ऐसे लोगों को तो यही भाषा समझ में आती है। खुद भले ही किसी लाचार बीमार के घर एक कप पानी भी न पहुंचाते हों। परंतु कोई अगर समाज के लिए अच्छा कार्य करता है तो उसे रोकने का ठेका इन लोगों ने ही ले रखा है। वैसे भी यह लोग अपना आधा समय तो शराब के ठेके पर ही बिताते हैं और आधा समय उत्पात मचाने में। इन्होंने सिर्फ स्वास्थ्यकर्मियों पर ही हमला नहीं किया बल्कि सामाजिक कल्याण के ताने-बाने को भी तोड़ने का भरपूर प्रयास किया है। मेरा तो मानना है कि अब सभी स्वास्थ्य कर्मियों को अपने अपने गले में तख्ती लटका कर घूमना चाहिए, जिस पर लिखा हो हम पर हमला करने वालों को 7 साल जेल में गुजारने पड़ेंगे और जमीन जायदाद बेचकर 5 लाख का इंतजाम भी करना पड़ेगा। अब आपकी समझदारी आपके हाथ में है।

महाशय विचार तो उत्तम है। मेरी बात का समर्थन करते हुए कुटकाराम जी  हंस दिए।

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